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Showing posts from 2017

भारतीयता बनाम राष्ट्रवाद

एक तो राष्ट्रवादियों से मैं बहुत दुखी हूँ। जबतक ये हर चीज़..हर घटना..हर विषय को राष्ट्र से न जोड़ दें तक तक इनके पाचन ग्रन्थियों से खाना पचाने वाले एंजाम स्रावित नहीं होते। अ...

फीकी लगे दुनियां !

मिला के चटपती ख़्वाहिश बनाके स्वाद मनमाफ़िक बदल दे ज़ायका उसका अगर फीकी लगे दुनियां ! चलोगे कब तलक पीछे यूं ही गर्दन झुका करके अनोखा रच दे कुछ ऐसा तेरे पीछे भगे दुनियां ! सं...

पुरानी बात को छोड़ो !

नया ये साल आया है नई शुरुवात लेकरके गिले शिकवे भुला करके पुरानी बात को छोड़ो ! जो दिल में चोट है गहरी नज़रअंदाज़ कर दो तुम नए हालात में फिर से नए जज़्बात को जोड़ो ! गए जो रूठ कर ...

वही रफ्तार बेढंगी !

बने सरकार सेकुलर की या आ जाए कोई संघी बदलता कुछ नहीं यारो वही रफ्तार बेढंगी ! महामारी सी बीमारी से दूषित हो गया तन-मन कुपोषण,भुखमरी की आग में जलता रहा बचपन कभी है प्याज की किल...
रुक जा, जाने का नाम न ले न विरक्त गृहस्त से होना तू ! उगते रवि सा हो प्रशस्त सदा वैराग्य में अस्त न होना तू ! निष्काम ही कर्म तू करता जा बस लोभ में ग्रस्त न होना तू ! संसार के कुछ उद्...
हिमालय सा स्थिर नदी सा तरल हूँ हृदय में है अमृत जुबां से गरल हूँ ! सतह पर हूँ बहता कभी गहरा तल हूँ कहीं हूँ अस्थिर कहीं पर अटल हूँ ! कभी आने वाला कभी बीता कल हूँ युगों तक हूँ रहता ...

वो भगवान बन गया !

मिट्टी के घर को छोड़ के दौलत की चाह में बेजान पत्थरों का इक मकान बन गया ! दामन ज़रासा क्या फटा आलम तो देखिए अपनो की महेफिलों में भी अंजान बन गया ! कर्जे की बली चढ़ गया ऐसा किसान हूँ उतरे न जो कभी भी वो लगान बन गया ! हीरा तलाशने में कुछ यूँ हुए घायल वीरान कोयले सी कोई खान बन गया ! ऐसे तो शराफत के मुखौटे से हूँ ढ़का मौका ज़रा मिला नही शैतान बन गया ! दिल की कभी दिमाग़ की बातों में आके मैं तलवार दो सम्भालती मियान बन गया ! बातों के तीर मार के घायल किया सबको बनने चला था ढाल,पर कमान बन गया ! मेरी समझ से है परे इस देश का विधान हमने चुना था नेता वो भगवान बन गया !      © दीपक शर्मा 'सार्थक'

कहां बचने का चारा है !

दरख़्तों को है जो काटे उसे मालूम भी है क्या ? किसी ने प्यार से उसको कभी सींचा सवांरा है ! ज़माने भर की दौलत से नहीं मिटती हवस अक्सर कोई दो जून की रोटी में कर लेता गुज़ारा है ! बड़...

आॅनलाइन

आजकल हर किसी के मुह से एक शब्द जो बार-बार सुनने को मिलता है..वो है 'आॅनलाइन' अगर कहा जाए कि आॅनलाइन होने का अर्थ ..जीवित होना है, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। और वो भी दिन दूर ...

वाह रे बाज़ार !

सलमान ख़ान अपनी मूवी में डायलाॅग मारते हैं( हमारे हीरो डायलाॅग कहते नहीं..बल्कि मारते हैं)- "मुझपे एक अहसान करना ..कि मुझपे कोई अहसान मत करना !" यानि कि अब वो  ज़माना बदल गया जब मद...

कुछ मुहाबरे

हिन्दी के कुछ मुहाबरे एवं उनका वाक्य प्रयोग- १-गुड़ गोबर होना वाक्य प्रयोग-'नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था गुड़ गोबर हो गयी है।' 2-नीम हक़ीम खतरे में जान वाक्य प्रयोग-'अर्थव...

सफेद झूठ अच्छा है !

बहुत काले सच से सफेद झूठ अच्छा है ! ख़ैरात के अमृत से ज़हर का घूट अच्छा है! जातीय गोलबंदी से आपस में फूट अच्छा है! दिखावटी ईमानदारी से खुली लूट अच्छा है! विदेशी पहनावे से देसी ...

चलो मान लिया !

तुम ही गए हो जीत नफ़रत की जंग में मेरी हुई है हार चलो मान लिया ! हमने कि मोहोब्बत हमने कि इबादत हम ही हैं गुनहगार चलो मान लिया ! इक रोज गले से हमको लगाओगे अब तक था इन्तज़ार चलो मा...
मुख़ातिब हो के ग़ैरों से कभी दिल की कही है क्या किया जाहिर नहीं ख़ुद को कसक दिल में नहीं है क्या दमन करके मोहब्बत का मिटाके ख़्वाहिशे अपनी सदा उलझे रहे इसमे ग़लत क्या है सह...

ठहेरियेति-ठहेरियेति

लो मुझे फिर से शिकायत हो गई! पर इस बार मुझे किसी 'समस्या' से शिकायत नहीं है, बल्कि इसबार मुझे 'समाधान' से शिकायत है। न जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है कि कल तक जो समस्या के समाधान हुआ क...