वाह रे बाज़ार !

सलमान ख़ान अपनी मूवी में डायलाॅग मारते हैं( हमारे हीरो डायलाॅग कहते नहीं..बल्कि मारते हैं)-
"मुझपे एक अहसान करना ..कि मुझपे कोई अहसान मत करना !"
यानि कि अब वो  ज़माना बदल गया जब मदद मांगने पर लोग अहसान करते थे..अब तो दुनियां जबरदस्ती मदद करने पर उतारा है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण 'बाज़ार' है। बाज़ार मरा जा रहा है ..मदद करने के लिए !
बस बाज़ार को ज़रा सी भनक लग जाए कि आपकी मन:स्थिति क्या है? फिर आपको ज़रूरत हो या ना हो, 'बाज़ार' मदद करने आ जाता है।
अभी हाल ही में बाज़ार को न जाने कैसे भनक लग गई कि भारत के लोगो में राष्ट्रवाद के स्रोत फूट रहे हैं..हर भारतीय अपने अंदर के राष्ट्रवाद को व्यक्त करने के लिए परेशान है।बस फिर क्या था ! 'बाज़ार' आ गया मदद करने। पूरा बाज़ार राष्ट्रवादी प्रोडक्ट से भर गया..जिन्हें खरीद कर कोई भी आसानी से राष्ट्रवादी होने का गौरव प्राप्त कर सकता है। टी.वी पर ऐसे ही प्रोडक्टों की भरमार हो गई-
1 एक ऐड में अक्षय कुमार (राष्ट्रवादी एक्टर) इण्डियन आर्मी की वर्दी पहन कर मिट्टी में कूदते हैं ..और पीछे से आवाज़ आती है.."देश की मिट्टी से बना टाइल्स...कजारिया टाइल्स !"
2 ऐसे ही एक दूसरे ऐड में आर्मी की ही वर्दी में एक लड़के को दिखाते हैं,जो छुट्टियां मंजूर होने पर अपने घर पहुचता है। जहाँ उसका घर बन रहा होता है। फिर वो अपने पिता से पूछता है कि किस सीमेंन्ट से घर बन रहा है। उत्तर मिलता है "जे पी सीमेंन्ट"। फिर पीछे से आवाज़ आती है...."देश के रक्षक से ज्यादा कौन जान सकता है मजबूती को..जे पी सीमेंन्ट ! ..टिंग टाॅग"
3- पतंजलि के प्रोडक्ट आपनाइए..और देश की प्रगति में सहियोग करिए !
4- टाटा नमक... देश का नमक !
और इस तरह भारत माता ब्रांड बनकर बाज़ार में बिकने लगी हैं बाज़ार ऐसे ही बहुत से उदाहरणो से पटा पड़ा है।
बाज़ार यहीं नहीं रुका है..वो हमारे घर के अंदर तक घुस आया है। हमारे हर छोटे से लेकर बड़े फैसले लेने तक में , बाज़ार का प्रभाव है।
इसका ताजा उदाहरण 'एक्सिस बैंक' का एक ऐड है जो बिखरते हुए संयुक्त परिवारो को आधार बनाकर मुनाफा कमाने में लगा है।
उस उक्त ऐड में एक महिला कार चलाते हुए बगल वाली सीट पर बैठे अपने बेटे से बात कर रही है।जिसमें वो बेटे की शादी तय हो जाने पर उसे नया घर लेने की सलाह देती है।बगल में बैठा उसका बेटा खीसें निपोर कर कहता है कि," आप से दूर रहूँ।"
इसपर उसकी माँ करती है कि घर के आस-पास ही दूसरा घर लेना।
इस ऐड के माध्यम से एक्सिस बैंक अपने होम लोन का प्रचार कर रहा है। इसके साथ वो परिवार के कलह को आधार बनाकर लोगो को दूर-दूर रहने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
अब लोगों को कौन समझाए कि 'बाज़ार' का केवल एक नियम है और वो है ..मुनाफा कमाना।
बाज़ार किसी का नहीं है,आज अगर फिरसे देश अंग्रेज़ो के अाधीन हो जाए तो ये, बाज़ार ईस्ट इंडिया कंपनी के गुण गाने लगेगा।
आखिर ऐसा क्या है कि सभी कम्पनियों की बनियान के ऐड में एक लड़का बनियाइन पहिने खड़ा होता है और कोई लड़की आकर उससे चिपक जाती है?
आखिर ऐसा क्या है कि पान मसाले के नाम पर गुटके का प्रचार करने वाले सभी प्रो़डक्ट में गुटगा खाने वाले को इतना रईस क्यों दिखाया जाता है? जबकी ये एकदम फटीचर नशा है।
मेरे हिसाब से अगर आप को किसी देश या समाज की मनोदशा को समझना है तो उस देश के ऐड फिल्मों को देखो..अापको सब पता चल जाएगा।
हमारे समाज का असली चहेरा क्या है..ये यहां की ऐड फिल्मों को देखकर अासानी से समझ सकते हैं। इसके लिए शोध करने की ज़रूरत नहीं है।

                    © दीपक शर्मा 'सार्थक'

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