वाह रे प्यारे डिप्लोमेटिक

वाह रे प्यारे डिप्लोमेटिक !
देश पे हमला करने वाले 
आतंकी से है हमदर्दी
हमले की निंदा यदि करते
सतही और लगे है फर्जी
दही भिगो के जूते मारूं
मन करता है ऑटोमैटिक
वाह रे प्यारे डिप्लोमेटिक !!

चाटुकार चमचे और चिंटू
चाट रहे तलवे आतंकी
थू है ऐसी राजनीति पर
कायर शठ करते नौटंकी
धर्म है इनका ’शरीयत’ लेकिन
बनते हैं ये डेमोक्रेटिक 
वाह रे प्यारे डिप्लोमेटिक !!

राष्ट्र से ऊपर धर्म है जिनका
उनका नहीं भरोसा करना
जाहिल कट्टर और हिंसक से
सदा बना के दूरी रहना
गाली नहीं इन्हें दो ’गोली’
मांग रहे एंटीबायोटिक 
वाह रे प्यारे डिप्लोमेटिक!!

        © दीपक शर्मा ’सार्थक’






















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