फीकी लगे दुनियां !

मिला के चटपती ख़्वाहिश
बनाके स्वाद मनमाफ़िक
बदल दे ज़ायका उसका
अगर फीकी लगे दुनियां !

चलोगे कब तलक पीछे
यूं ही गर्दन झुका करके
अनोखा रच दे कुछ ऐसा
तेरे पीछे भगे दुनियां !

संभल जा हर तरफ सैयाद
फिरते जाल ले करके
नहीं बख़्से किसी को भी
फंसा कर बस ठगे दुनियां !

मिसाइल तोप बंदूकों
से पटती जा रही धरती
बमो के ढ़ेर पर बैठी
न जाने कब दगे दुनियां !

न सह ज़ुर्मो सितम कर
सामना सारी मुसीबत का
पकड़ झझकोर दे उसको
तभी शायद जगे दुनियां !

       © दीपक शर्मा 'सार्थक'

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