पुरानी बात को छोड़ो !
नया ये साल आया है
नई शुरुवात लेकरके
गिले शिकवे भुला करके
पुरानी बात को छोड़ो !
जो दिल में चोट है गहरी
नज़रअंदाज़ कर दो तुम
नए हालात में फिर से
नए जज़्बात को जोड़ो !
गए जो रूठ कर अपने
मना लो आज फिर उनको
मिटाके दूरियां दिल की
ख़लिश निर्वात को तोड़ो !
बदल के रास्ता अपना
खिले दिन में चले आओ
घनी काली अंधेरी
बेख़ुदी सी रात को मोड़ो !
नया ये साल आया है
नई शुरुवात लेकरके
गिले शिकवे भुला करके
पुरानी बात को छोड़ो !
© दीपक शर्मा 'सार्थक'
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