वेलेंटाइन डे
अक्सर देखा है
किसी गरीब केवेलेंटाइन डे के प्रस्ताव का हाल,
कमजोर विपक्ष के द्वारा
सदन में रखे गए किसी प्रस्ताव
की तरह होता है !
भले ही चीख–चीख के विपक्ष
अपने पक्ष में कितने भी तर्क दे
पर बहुमत के नशे में डूबा सदन
इस प्रस्ताव को कुचल देता है !
ये वेलेंटाइन डे,
एक प्रस्ताव ही तो है
किसी गरीब देश के द्वारा
यूनाइटेड नेशंस के सुरक्षा परिषद
की स्थाई सदस्यता प्राप्त करने के लिए
दिए गए प्रस्ताव के जैसा !
लेकिन कोई अमीर देश
इसपर वीटो करता है
और प्रस्ताव खारिज कर देता है !
कुल मिलाकर
कमजोर हो या गरीब हों
इनके प्रस्ताव या तो
खारिज कर दिए जाते हैं
या कुचल दिए जाते हैं
और इस तरह ये लीचड़ पूंजीवादी
अपना वेलेंटाइन डे मनाते हैं !
©️ दीपक शर्मा ’सार्थक’
Comments
Post a Comment