बजट
चार्वाकवादी बजट में आपका स्वागत है।
अब कुछ लोग ये जरूर पूछ सकते हैं की हर विषय और घटना में दर्शनशास्त्र घुसेड़ने की क्या आवश्यकता है? तो इसका उत्तर ये है की संसार का कोई ऐसा विषय नहीं है जिसके केंद्र में कोई दर्शन न हो।
अब इस बजट को ’चार्वाकवादी’ बजट कहने के पीछे की मंशा क्या है, वो स्पष्ट करता हूं।
इस बजट के मूल में उपभोग वादी विचारधारा है। और ये सबको पता है की उपभोगवाद का मूल ही चार्वाक दर्शन है। "यावज्जीवेत्सुखं जीवेत् ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत्" जैसा कि इस चार्वाक वादी कहावत से स्पष्ट है की मनुष्य जब तक जीवित रहे तब तक सुखपूर्वक जिये ।जरूरत हो तो ऋण करके भी घी पिये।
वर्तमान बजट हमको यही सिखाता है की आप खूब कमाइए और खूब उड़ाइए। बचत का नाम भी अपनी जुबान पे मत लाइए। आप जितना उपभोग करेंगे उतना ही बाजार रूपी दानव को ताकत मिलेगी। अगर आप पैसा बचा के रखेंगे, सोना खरीद डालेंगे या बुढ़ापे के लिए पैसा जोड़ेंगे तो इसका बाजार पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
वित्त मंत्री जी ने अपने नए टैक्स स्लैप ( थप्पड़) में वो तमाचा मारा है की मार खाने वाले को अभी तक यही समझ नहीं आ रहा की ये दुलार वाला चाटा है या सचमुच का करारा तमाचा उसके गाल पर पड़ा है। सात लाख तक छूट सुनते ही खुशी से झूम उठे लेकिन शाम होते होते जब पता चला कि वित्त मंत्री जी ने बचत वाली सारी गणित बिगाड़ कर गांव वाली कहावत में कहें तो "सब धान एक पसेरी" में तौल दिया है। तब खुशी के सारे बुलबुले फूट गए।
आज से पचास साल पहले लोग अपना धन जमीन में गाड़ के रखते थे। फिर बैंक का दौर आया और अपने साथ एलआईसी और पीएफ का कॉन्सेप्ट लेकर आया। लेकिन वर्तमान बजट को देख के लग रहा है की अब नीति निर्माताओं ने भविष्य में भारत की आर्थिक विकास की दिशा और दशा दोनो ही बदलने की ठान ली है। इनको अब एलआईसी और पीएफ के माध्यम से बचत वाली सोच पुरानी और दकियानूसी नजर आने लगी हैं। जैसे ही वित्त मंत्री जी ने बजट के माध्यम से अपनी ये मंशा जाहिर की वैसे ही इंसोरेंस सेक्टर मुंह के बल धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा। अब वर्तमान सरकार ये चाहती है की आप अपनी तिनका तिनका जोड़ के बचत वाली सोच से ऊपर उठिए और खुले बाजार में अपनी किस्मत आजमाइए। कहने का मतलब ये है की अब सरकार अमेरिका की तरह हर व्यक्ति को दलाल स्ट्रीट ( शेयर मार्केट) से जोड़ना चाहती है। अब म्यूचुअल फंड के माध्यम से या डायरेक्ट शेयर खरीद के अपना पोर्टफोलियो बनाकर या क्रिफ्टो करेंसी में निवेश के नए आयाम तलाशने को लेकर सरकार आपको परिपक्व मानकर खुले आसमान में छोड़ देना चाहती है।
भविष्यवाणी तो नहीं करनी चाहिए लेकिन मैं दावे के साथ जरूर कह सकता हूं की आज से बीस साल बाद लगभग हर भारतीय किसी न किसी माध्यम से शेयर खरीद फरोख्त में लगा होगा। छोटे छोटे घरों में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की धमक सुनाई पड़ेगी। सेंसेक्स निफ्टी नए नए कीर्तिमान वाली उचाइयों को छुएगा। अभी शेयर मार्केट की रीच कुछ विशेष वर्ग तक ही सीमित है लेकिन ये बीस साल के अंदर हर जगह मौजूद होगा। और जो मध्यवर्ग का व्यक्ति शेयर मार्केट या क्रिफ्टो करेंसी को लेकर मुंह बिचकाते हैं। वो इस दौड़ में पीछे रह जायेगे।
वैसे भी मध्यवर्ग का हाल कैसा है ये सबको पता है। रावण जब ब्रह्म देव की तपस्या कर रहा था तो उसका भाई कुंभकरण भी साथ में तपस्या कर रहा था। कुंभकरण की भयानक काया को देख के देवता बहुत डर गए। अतः उन्होंने सरस्वती को उसके वरदान मांगते समय उसकी जिव्या पर बैठ जाने का आग्रह किया। फिर जैसे ही कुंभकरण ने ब्रह्मा जी से "इंद्राशन" मांगना चाहा सरस्वती के कारण उसके मुंह से "निद्राशन" निकल गया।और ब्रह्मा जी साल भर सोने का वरदान देकर चले गए।बिचारे मध्यवर्ग का भी यही हाल है। वो मांगना तो इंद्रासन चाहता है लेकिन मिलता उसे निद्रासन ही है।
अतः घोड़ा बेच के सो जाइए। देश के विकास में सहयोग करिए।आप की इस विकास के रथ का पहिया हैं।इसलिए घूमते रहिए।
जय हिंद !
©️ दीपक शर्मा ’सार्थक’
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