सेकुलर क्या है संघी क्या ..

उन्हें अच्छा नहीं लगता
ये आलम साफगोई का
उन्हें जचता नहीं है 'मत'
सिवाए अपने कोई का
यही हैं जो ज़हर ख़ुद ही
मिला लेते हैं खाने में
फ़रक इनको नहीं पड़ता
है खाना किस रसोंई का.....

किसे समझा रहे हो तुम
तुम्हें मालूम भी है क्या
ख़ुदी को ख़ुद ख़ुदा समझे
सुनेगा दूसरों की क्या
ये ऐसे बुलबुले हैं जो
उबल पड़ते हैं थोड़े में
इन्हें मतलब नहीं इससे
कि सेकुलर क्या है, संघी क्या....

       -- दीपक शर्मा 'सार्थक'

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