अति सर्वत्र वर्जयेत्
साक्ष्य तो नहीं है पर सुना है जब दुर्घटनावश कालिदास की जुबान देवी के मंदिर में कट कर गिर गई तो देवी ने प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा। कालिदास ने विद्योत्मा को माँगा लेकिन जुबान कटी होने के कारण वो विद्या ही बोल पाए। इस तरह देवी उन्हें विद्वान होने का वरदान देकर चली गई। पर कहानी यही खत्म नहीं हुई। कहा जाता है कि कालिदास को इतनी विद्या मिल गई कि वो जो कुछ भी लिखते उससे संतुष्ट नहीं होते। उन्हें अपने लिखे में ही कमियां नजर आने लगती। उनकी मानसिक हालत इतनी खराब हो गई कि वो अपने ज्ञान से ही पागल होने लगे। ये कहानी मुझे मेरी दादी सुनाया करती थी। उन्हीं के अनुसार जब कालिदास बहुत परेशान हो गए तो उनको किसी पंडित ने लगातार "कुंदरू" की सब्जी खाने की सलाह दी।पंडित ने कालिदास को बताया कि कुंदरू की सब्जी खाने से बुद्धि कुंद यानी कम हो जाती है। इस तरह कालिदास ने अपनी बुद्धि को कुंदरू खाकर कंट्रोल किया। खैर ये कहानी सही है या गलत मुझे नहीं पता पर इस कहानी का मेरे बाल मन के ऊपर इतना फर्क़ जरूर पड़ा कि मैंने बचपन में कुंदरू खाना बंद कर दिया था। मैं नहीं चाहता था कि जो थोड़ी बहुत बुद्धि है वो...