और पेड़ का क्या
खैर कहानी का मुख्य विषय ये नहीं है कि उनमे कैसे बँटवारा हुआ। क्योंकि ये तो हर घर की कहानी है। अब आते है कहानी के मुख्य हिस्से पर-
दोनों भाइयों में बंटवारा होने के कई सालों बाद उन दोनों के बीच एक पेड़ को लेकर विवाद हो गया। विवाद भी ऐसा जिसका निपटारा आसपड़ोस के लोग नहीं कर पा रहे थे।
उनके विवाद का कारण एक पेड़ था। बड़े भाई का दावा था कि उस पेड़ को बँटवारे से पहले उसने कहीं बाहर से लाकर लगाया था इसलिए उस पेड़ पर उसका अधिकार है। वही छोटे भाई का कहना था कि चूंकि वो पेड़ उसके हिस्से की जमीन पर लगा था। और उसने पेड़ की सालों तक देखभाल की है इसलिए उस पेड़ पर उसका हक है।
इस तरह उन दोनों भाइयों के पेड़ का ये विवाद चर्चा का विषय बन गया। दूर-दूर से न्याय करने वाले लोग इस विवाद का निपटारा करने आने लगे। परंतु वो भी किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचे। अंत मे सबने मिलकर फैसला किया कि इस विवाद को राजा के सामने पेश किया जाए, वही इसका फैसला कर पाएंगे क्योंकि राजा को सब कहीं अपने पूर्ण न्याय करने के लिए जाना जाता था।
फिर क्या था इस विवाद को राजा के सामने दरबार में रखा गया। दूर-दूर से लोग इस विवाद का सही न्याय क्या है ये जानने के लिए जिज्ञासावश दरबार में इकठ्ठा हो गए।
राजा के सामने दोनों भाइयों ने अपनी-अपनी बात रखी और पेड़ उनको देने की गुहार लगाई। राजा ने गंभीरता से उन दोनों की बात सुनी और थोड़ी देर आत्ममंथन करके बोलना शुरू किया-
"देखा जाए तो, यदि बड़ा भाई बँटवारे से पहले कहीं बाहर से पेड़ लाकर नहीं लगाता तो वहां कोई पेड़ होता ही नहीं फिर छोटा भाई किस पेड़ की देखभाल करता ! वही दुसरी तरफ अगर छोटा भाई बँटवारे के बाद अपने हिस्से की जमीन पर लगे पेड़ की देखभाल नहीं करता तो भी वो पेड़ नष्ट हो जाता। इसलिए छोटे भाई का भी अधिकार उस पेड़ पर बनता है।अतः उस पेड़ को काट कर बेच दिया जाए और उससे जो पैसे मिले वो दोनों भाइयों में बराबर-बराबर बांट दिया जाए।यही पूर्ण न्याय होगा।"
राजा की बात दोनों भाइयों ने मान ली और दरबार में खड़े लोग राजा के न्याय करने के गुण की तारीफ करने लगे।
लेकिन वहाँ खड़े एक व्यक्ति को राजा का न्याय समझ नहीं आया इसलिए वो बोल पड़ा," क्षमा करें महाराज लेकिन पेड़ का क्या !"
राजा ने उसे घूर कर देखा और पूछा," तुम्हारी बात का क्या मतलब है।"
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, "महाराज यहां पूर्ण न्याय तो हुआ नहीं। आखिर पेड़ का भी तो एक पक्ष है जिसे किसी ने सुना नहीं।पेड़ के नजरिए से देखा जाए तो यहां अन्याय हुआ है।
उस व्यक्ति की बात सुनकर राजा के साथ-साथ उस दरबार के अन्य लोग भी हँसने लगे।
राजा हँसते हुए बोला, "पेड़ का कैसा न्याय..पेड़ की किस्मत में तो कटना ही लिखा है।"
©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'
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