जय किसान

अंबानी - किसान भाईयों ! हमारा नाम अंबानी है और हमने आप लोगों की ज़मीन लीज़ पे ली है। अब आप लोगों के अच्छे दिन आने ही वाले हैं। बस आप लोगों को मेरे कहने पर पुदीने की खेती शुरु करनी होगी।
किसान - आयं! यू का बता रहे हो भईया! अब हमका आप के लिए खेती करनी पड़ेगी। मतलब हम किसान अपनी मर्ज़ी से खेती भी नहीं कर पाएंगे!
अंबानी- मूर्खता वाली बातें मत करो आपलोग। जब जमीन मैने लीज़ पे ली है तो आप को मेरे अनुसार ही खेती करनी पड़ेगी। 
किसान- ये कैसे हो गया भईया। हम लोग तो कुछ जान ही नहीं पाए!
अंबानी- अर्रे मूर्खदास तुम लोग तो कुछ नहीं जानते। ये वैसे ही हुआ जैसे किसी जमाने में ईस्ट इंडिया कंपनी ने किसानो से 'नील की खेती' कराने के लिए उनकी जमीन लीज़ पर ली थी। जिस तरह उस टाईम किसान नील की खेती कर रहे थे,वैसे ही अब आप लोग मेरे लिए पुदीने की खेती करेंगे।
किसान - पुदीना ..पुदीना ! काहे चिल्ला रहें हैं साहब ! का बहुत पसंद है आप को पुदीना !
अंबानी- हमको पुदीना नहीं बल्कि उसके तेल से मतलब है। हम पुदीने से तेल बनायेंगे, और फिर उसे हर भारतीय को बेचेंगे। ये तेल लगाके हर भारतीय का तनाव कम होगा।और वो चैन की नींद सो सकेगा। भारत का विश्व गुरु बनने का सपना तब तक पूरा नहीं हो सकता, जब तक हर भारतीय रोजगार जैसे मुद्दों को लेकर तनाव लेता रहेगा। इसलिये हम पुदीने का तेल बेचेंगे। और भारत को विश्व गुरु बनवाकर ही दम लेंगे।
किसान- अरे भईया! आप तो बडका लेक्चर पेल दिए। हम लोग ठहरे ठेठ किसान,हम अपनी जमीन आप लोगन का नाही देंगे।हम लोग कोरट(कोर्ट) जायेंगे कोरट !
अंबानी- हा हा हा तुम लोगों का दिमाग खिसक गया है क्या !अब ऐसा कानून बन गया है कि इस सारे विवाद की सुनवाई न्यायालय में नहीं होगी। अब इन विवादों का निपटारा एस.डी.एम  करेंगे। और तुम सबको ये पता ही होगा की ब्यूरोक्रेसी हम जैसे बिजनेसमेन के जेब में होती है।इसलिए ये सब बकवास छोड़ो और पुदीने की खेती करना शुरु करो।
किसान(गुस्से में)- ज़्यादा चिल्ल पों मत करो साहब! अभी तुमने किसान की ताकत कहाँ देखी है। अब हम पुदीना नहीं धान बोएंगे!
अंबानी( सकपकाते हुए) - कहाँ बो दोगे धान !
किसान - उस कुर्सी पे धान बोएंगे, जिसपर अपनी बीघे भर की तशरीफ़ धर के ई नेतवा लोग ऐसा कानून बनाते हैं। और रही तुम्हारी बात तो ये समझ लो साहब ! एकै लट्ठ में तुम्हारा पुदीना वाला तेल निकाल देंगे।चाहो तो जाके किसानो के 'नील क्रांति' का इतिहास पढ़ लेना।

                   ● दीपक शर्मा 'सार्थक'

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