घमंड के बुर्ज़ खलीफ़ा

समय से पहले बड़े हो गए 
अब अबोध रहता है कौन !

एक प्रश्न के सौ उत्तर दें 
बड़ो की अब सहता है कौन !

बस लीपा-पोती में लगे हैं
अब दिल की कहता है कौन !

मछली से फँस गए जाल में 
अब विमुक्त बहता है कौन !

हर संबंध की माला तोड़ें
मोती ले गहता है कौन !

हैं घमंड के बुर्ज़ खलीफ़ा 
त्याग में अब ढहता है कौन !

        ● दीपक शर्मा 'सार्थक'





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