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हिंडनबर्ग एक प्रोपोगेंडा

अडानी ग्रुप को लेकर उपजे इस नए विवाद के बारे में कुछ भी कहने से पहले शेयर मार्केट को लेकर मेरी क्या सोच है ..ये मैं बता दूं। मेरी नजर में शेयर मार्केट अपने आप में एक स्कैम है।ये सट्टेबाजी दलाली और जुवां का बस एक सभ्य समाज में लीगलाइजेसन (वैधिकरण) भर है। यहां पर समाज और सरकार ने मिलकर आपको दलाली और जुवां खेलने की कानूनन छूट दे रखी है। इसका सबसे ताजा उदाहरण जबसे आईपीएल शुरू हुआ है तबसे आपने देखा होगा ! पहले सट्टेबाजी एक कानूनन अपराध था। फिर आईपीएल आने के बाद कुटिल बिजनेसमैन और साहूकारों ने सट्टेबाजी को एक लीगल जामा पहना दिया। अब आप ’ड्रीम एलेवेन’ और ऐसी ही तमाम ऑनलाइन माध्यमों से खुलेआम सट्टेबाजी कर सकते हैं। इसी तरह लॉस एंजेल्स में वैश्यावृत्ति को कानूनन मान्यता है। यानी कहने का मतलब ये है कि साहूकार व्यापारी हर उस चीज को जिसे वो बेच सकते हैं..उसे कानून को अपने मन मुताबिक तोड़–मरोड़ के वैध बना देते हैं और खुलेआम बेचते हैं। अब अडानी ग्रुप को लेकर उपजे ताजे विवाद पर आते हैं। 2014 से जबसे वर्तमान सरकार सत्ता में आई है तबसे ही अडानी का नाम गाहे बगाहे किसी न किसी बहाने चर्चा में आ ही जाता है...

बसंत बाण

गुनगुनी सी धूप है हवा का रुख़ बदल गया नए कपोल खिल रहे भ्रमर का दिल मचल गया ! ठिठुर रही थी ठंड और बसंत बाण चल गया प्रेम का हुआ उदय तुषार सब पिघल गया ! हंसवाहिनी के मुख से स्वर नया निकल गया चहक उठी कली–कली चमन लगे की धुल गया ! वसुंधरा महक उठी बसंती रंग घुल गया  प्रेम को समेटने हृदय का द्वार खुल गया !                ©️ दीपक शर्मा 'सार्थक' *बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं*

वेतन अवरुद्ध कर दिया जाएगा

DBT पूरा नहीं कराया  तो वेतन अवरुद्ध कर दिया जाएगा। राशन प्रधान भिजवाए, और MDM में अनियमितता पाया ! तो वेतन अवरुद्ध कर दिया जाएगा।  बच्चो का आधार नहीं बनवाया ! तो वेतन अवरुद्ध कर दिया जाएगा । सत्र के अंत तक  किताबें स्कूल नहीं पहुंची और अगर संदर्शिका से नहीं पढ़ाया ! तो वेतन अवरुद्ध कर दिया जाएगा। कमीशनखोर दलाल विद्यालय आया उसकी जी हुजूरी नहीं लगाया ! तो वेतन अवरुद्ध कर दिया जायेगा । नया साहब यानी ARP स्कूल आया आकस्मिक अवकाश पर होने के बाद भी उसने अनुपस्थिति चढ़ाया यदि उसका स्पष्टीकरण नहीं लगाया ! तो वेतन अवरुद्ध कर दिया जाएगा । शासन ने बेसुरी तान वाला गाना गाया कर्मचारियों को उसपर जबरदस्ती नचाया शिक्षको के तथाकथित हितैषी संगठन ने उसके सहयोग में तबला बजाया यदि किसी ने इस अत्याचार पर आवाज उठाया तो उसका वेतन अवरुद्ध कर दिया जाएगा । वेतन अवरुद्ध कर दिया जाएगा वेतन अवरुद्ध कर दिया जाएगा... ........                        ©️ दीपक शर्मा ’सार्थक’

ई पी एल

एक नहीं दो चार नहीं ये सबके सब हैं निठल्ले खेलते हैं बस पैसों पर  ये आईपीएल के दल्ले  न कोई फिटनेस न फुर्ती हैं ऐसे ये नल्ले खेल रहे ज्यों गुल्ली डंडा गेंद न आए पल्ले देशी पिच पर हीरो बनते बाहर चले न बल्ले न कोई ओपनर ढंग का लगते सभी पुछल्ले  बने ब्रांड एंबेसडर फिरते फैन मचाए हल्ले  हारे सभी सीरीज जरूरी ये उड़ान के छल्ले      दीपक शर्मा ’सार्थक’

ऐसा देश है मेरा भाग 7

और शुक्र डूब गए। इसी के साथ सारे शुभ कार्यों पर बड़ा वाला फुल स्टॉप लग गया। आखिर शुक्र का ऐसा क्या प्रभाव है कि उसके डूब जाने भर से सारे शुभ कार्यों को उसके उगने तक के लिए टाल दिया जाता है। इसका जलवा ये है की अति आतुर लोगों के शुभकार्यों को पंडित लोग अपनी पंडाताई झाड़ के किसी और समय का तो उनके मुहूर्त निकाल देते हैं लेकिन शुक्र डूबने के बाद वो भी मजबूर हो जाते हैं।और उसके उदय होने तक का इंतजार करने की सलाह देते हैं। इसका उत्तर तो खैर भारतीय पौराणिक ग्रंथों में मिल ही जाता है। जिन्होंने पढ़ रखा है उनको मालूम भी होगा। लेकिन मुझे इसकी एक बात जरूर अचरज में डालती है की इन कथाओं में कुछ तो विशेष प्रकार का आकर्षण जरूर है। जिसका प्रभाव आजतक भारतीय जनमानस की परंपराओं में देखने को मिलता है। खासकर इन पौराणिक कथाओं से जुड़े तर्को को जब तार्किक दृष्टि से पढ़ो तो और मजा आता है। शुक्र से जुड़ी इस मान्यता को वामन अवतार के समय से जोड़ कर देखा जाता है। उस दृश्य की कल्पना करिए! राजा बलि गुरु शुक्राचार्य के सहयोग से शत यज्ञ करके इंद्र का पद प्राप्त कर चुके थे। लेकिन अचानक एक बौना बच्चा तीन पग भूमि दान स्व...

अब कहती हो प्यार नहीं है

हृदय में इतने स्वप्न जगाकर अब कहती हो प्यार नहीं है ! जिन नयनों से निस-दिन प्रतिपल प्रेम की वर्षा होती थी  जिन अधरों से निश्छल कोमल बस मुस्कान बिखरती थी  आज मुझे चिंतित कुम्हलाई  छवि तेरी स्वीकार नहीं है हृदय में इतने स्वप्न जगाकर अब कहती हो प्यार नहीं है  ! कभी क्षणिक आलिंगन से तुम हिम की भांति पिघल जाती थी और सजल शीतल सरिता सी  जलनिधि से तुम मिल जाती थी किंतु स्रोत सूखे संवेगो में पहले सा सार नहीं है हृदय में इतने स्वप्न जगाकर अब कहती हो प्यार नहीं है ! क्यों प्रतक्ष से आंख मूंद कर प्रेम को तुम झुठलाती हो निज कुंठा का उत्तरदाई गैर को क्यों ठहराती हो इस गमगीन निराशा का अब क्या कोई उपचार नहीं है  हृदय में इतने स्वप्न जगाकर अब कहती हो प्यार नहीं है !            ©️ दीपक शर्मा ’सार्थक’

भाषाएं भी मर जाया करती हैं

भाषाएं भी मर जाया करती हैं कभी अपना अर्थ खोकर या अर्थ का अनर्थ होकर अपनो की खाकर ठोकर जब उपेक्षित होती रहती हैं भाषाएं भी मर जाया करती हैं ! अंग्रजी के महा आवरण से बचती शहरों में अकेलेपन से सहमी दिन पर दिन अपने ही दायरे में सिकुड़ती  अपने आस्तित्व के लिए लड़ती रहती हैं भाषाएं भी मर जाया करती हैं ! अब वो न हिंदी हैं न हमवतन हैं  अब न वो हिंदी ही हैं न इंग्लिश हैं बलात्कारी अंग्रेजी की अवैध संतान हैं  अब वो अधकचरे हिजड़े ’हिंग्लिश’ हैं ऐसे ही पतन के गर्त में गिरती रहती हैं अच्छा ही है जो अपना हश्र देखने से पहले  भाषाएं  मर जाया करती हैं !                   ©️ दीपक शर्मा ’सार्थक’