शिक्षा के निरुद्देश्य
जैसे ही नई शिक्षा नीति चर्चा में आई वैसे ही तमाम शिक्षाविदों को अपनी बिलों से बाहर आने का मौका मिल गया है। अब ये शिक्षाविद् रात में जैसे सियार चिल्लाते हैं वैसे ही सौ साल पुराने राग यानी 'शिक्षा का क्या उद्देश्य है', इसको लेकर शोर मचाने लगे हैं।हालत ये है की इन सौ सालो में शिक्षा के उद्देश्य को लेकर जितनी बहस हुई है वो अगर स्वयं माँ सरस्वती को पता चल जाए तो वो भी शिक्षा के उद्देश्य को लेकर भ्रम में पड़ जाएंगी। शिक्षा के उद्देश्य वाले इस महाकाव्य से मेरा पाला बी.एड. करने के दौरान पड़ा।तबसे लेकर अब तक न जाने ऐसे कितने ही खोखले उद्देश्य को पढता आया हूँ।पर हकीक़त में शिक्षा के उद्देश्य की आड़ में शुरु से ही घिनौने लोग अपने स्वार्थ को पूरा करने में लगे हैं। सबसे पहले मैकाले भाईसाहब के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य भारत में ऐसा वर्ग तैयार करना था, जिनका रंग और रक्त भले ही भारतीय हों लेकिन वह अपनी अभिरूचि, विचार, नैतिकता और बौद्धिकता में अंग्रेज हों। और आज के भारत को देख के साफ पता चलता है की धूर्त मैकाले अपने उद्देश्य में सफल हो गया है। भारत के नेताओं के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य अपने काले ...