सच पूछों तो
आत्महत्या में हत्या होती है
खुद को विशेष समझने के भ्रम की !
खुद से जुड़ी अथाह अपेक्षाओं की !
सारे हालातों को थमाने की ज़िद की !
खयाली मकडजाल को बुनने के लत की !
रही बात आत्महत्या की तो
आत्मा की हत्या 
कोई कैसे कर सकता है!
आत्मा अजर अमर जो ठहरी!

            ●दीपक शर्मा 'सार्थक'

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