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मजबूरी का नाम..महत्मा गांधी !

बचपन में ही मैने ये कहावत 'मज़बूरी का नाम महत्मा गांधी !' सुनी थी।वो अलग बात है तब न ही मुझे मजबूरी का मतलब पता था और न ही महत्मा गांधी का ही। फिर जब थोड़ी उम्र बढ़ी तो देशप्रेम का भाव हृदय में बढ़ने लगा। भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे नेता मेरे प्रिय हो गए। इसी दौरान मेरे आस-पास रहने वाले टिटपुजिया छाप इतिहासकारों ने मुझे बताया की गांधी बहुत ख़राब था..उसने भगतसिंह को मरवा दिया और गांधी के कारण ही देश का बंटवारा हो गया। हलाकि मेरे आस पास के इन झोलाछाप इतिहासकारों ने जो ये जानकारी मुझे दी थी..उनके ज्ञान का स्रोत क्या था, ये आज तक मुझे नहीं ज्ञात है। गांधी के बारे में न जाने ऐसी कितनी ही विवादित बातें सुनकर मैं बडा हुआ। सौभाग्य से मुझे बााद में गांधी को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ।इससे मैं इतना दावा तो ज़रूर कर सकता हूँ कि गांधी बहुत ही ईमानदार थे। गांधी के घोर आलोचक भी गांधी में चाहे जितनी कमियां निकाले पर उनको भी ये मानना पड़ेगा कि गांधी बहुत ईमानदार थे। उन्होंने जो कहा..सदा वही किया भी।उनकी कथनी करनी में बिल्कुल भी फर्क नहीं था। उन्होंने जीवन भर 'अहिंसा' का पालन किया। ...

प्रभात वर्णन

प्रभात की प्रभा से खिल उठी वसुंधरा सकल जो शून्य था, प्रकट हुआ अदीप्त दीप्त हो गए ! मधुर धुने प्रकृति के हर कणो में गूजने लगी वैराग रागमय हुआ निर्लिप्त, लिप्त हो गए! तिमिर को ची...

यथा जनता तथा नेता !

और आज मुझे दया आ गई। वो भी नेताओ पर ! जिसे भी देखो बिचारे नेताओ के पीछे पड़ा है। ये जो परजीवी टाइप के बुद्धिजीवी लोग हैं इनकी बौद्धिक हवस बिचारे नेताओं की बखिया उधेड़ कर ही शान...

काश अगर मैं नेता होता !

काश अगर मैं नेता होता ! जाति के नाम पे बटवाकर कभी धर्म की बीन पे नचवाकर जाहिल गँवार इस जनता को हरदम यूँ ही ठगता होता काश अगर मैं नेता होता ! खद्दरधारी गमछाधारी टीकाधारी इच्छा...

सत्यमेव जयते !

ये तो तय है कि देश परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है।नए-नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं।वैसे अभी तक ये कीर्तिमान स्थापित करने का ठेका सरकारों के पास होता था पर अब इसके झोके मे...

रंग मर रहे हैं !

ये तो तय है कि ये मृत्युलोक है। यहाँ कुछ भी शाश्वत नहीं है।इंसानो का क्या है..वो तो मरते ही रहते हैं।उनकी मौत पर मुझे अब अचरज नहीं होता। लेकिन यहाँ मामला कुछ और ही है।शायद आप क...

भारतीयता बनाम राष्ट्रवाद

एक तो राष्ट्रवादियों से मैं बहुत दुखी हूँ। जबतक ये हर चीज़..हर घटना..हर विषय को राष्ट्र से न जोड़ दें तक तक इनके पाचन ग्रन्थियों से खाना पचाने वाले एंजाम स्रावित नहीं होते। अ...