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रुक जा, जाने का नाम न ले न विरक्त गृहस्त से होना तू ! उगते रवि सा हो प्रशस्त सदा वैराग्य में अस्त न होना तू ! निष्काम ही कर्म तू करता जा बस लोभ में ग्रस्त न होना तू ! संसार के कुछ उद्...
हिमालय सा स्थिर नदी सा तरल हूँ हृदय में है अमृत जुबां से गरल हूँ ! सतह पर हूँ बहता कभी गहरा तल हूँ कहीं हूँ अस्थिर कहीं पर अटल हूँ ! कभी आने वाला कभी बीता कल हूँ युगों तक हूँ रहता ...

वो भगवान बन गया !

मिट्टी के घर को छोड़ के दौलत की चाह में बेजान पत्थरों का इक मकान बन गया ! दामन ज़रासा क्या फटा आलम तो देखिए अपनो की महेफिलों में भी अंजान बन गया ! कर्जे की बली चढ़ गया ऐसा किसान हूँ उतरे न जो कभी भी वो लगान बन गया ! हीरा तलाशने में कुछ यूँ हुए घायल वीरान कोयले सी कोई खान बन गया ! ऐसे तो शराफत के मुखौटे से हूँ ढ़का मौका ज़रा मिला नही शैतान बन गया ! दिल की कभी दिमाग़ की बातों में आके मैं तलवार दो सम्भालती मियान बन गया ! बातों के तीर मार के घायल किया सबको बनने चला था ढाल,पर कमान बन गया ! मेरी समझ से है परे इस देश का विधान हमने चुना था नेता वो भगवान बन गया !      © दीपक शर्मा 'सार्थक'

कहां बचने का चारा है !

दरख़्तों को है जो काटे उसे मालूम भी है क्या ? किसी ने प्यार से उसको कभी सींचा सवांरा है ! ज़माने भर की दौलत से नहीं मिटती हवस अक्सर कोई दो जून की रोटी में कर लेता गुज़ारा है ! बड़...

आॅनलाइन

आजकल हर किसी के मुह से एक शब्द जो बार-बार सुनने को मिलता है..वो है 'आॅनलाइन' अगर कहा जाए कि आॅनलाइन होने का अर्थ ..जीवित होना है, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। और वो भी दिन दूर ...

वाह रे बाज़ार !

सलमान ख़ान अपनी मूवी में डायलाॅग मारते हैं( हमारे हीरो डायलाॅग कहते नहीं..बल्कि मारते हैं)- "मुझपे एक अहसान करना ..कि मुझपे कोई अहसान मत करना !" यानि कि अब वो  ज़माना बदल गया जब मद...

कुछ मुहाबरे

हिन्दी के कुछ मुहाबरे एवं उनका वाक्य प्रयोग- १-गुड़ गोबर होना वाक्य प्रयोग-'नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था गुड़ गोबर हो गयी है।' 2-नीम हक़ीम खतरे में जान वाक्य प्रयोग-'अर्थव...