हम ग़ज़ल समझ,जिसे गाते रहे
वो तो ओछी तुकबन्दी निकली
जिस प्यार में ख़ुद को लुटाते रहे
वो प्यार नहीं ख़ुदगर्ज़ी निकली
झूठे दावे और वादे है
सारी बातें फर्ज़ी निकली
सोचा हम तकदीर के मालिक हैं
अल्लाह तेरी मर्ज़ी निकली...
वो तो ओछी तुकबन्दी निकली
जिस प्यार में ख़ुद को लुटाते रहे
वो प्यार नहीं ख़ुदगर्ज़ी निकली
झूठे दावे और वादे है
सारी बातें फर्ज़ी निकली
सोचा हम तकदीर के मालिक हैं
अल्लाह तेरी मर्ज़ी निकली...
-- दीपक शर्मा 'सार्थक'
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