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वो गिराते रहे..हम बनाते रहे !

पूरी शब बेसबब यूं ग़ुज़रती रही वो बिगड़ते रहे हम मनाते रहे! उनकी नाराज़गी पर भी सदके मेरे हम मोहोब्बत में पलके बिछाते रहे! वो न समझे मेरे प्यार को अब तलक जबकि दिल खोल कर हम दि...

चूँकि वो बुद्धिमान हैं !

बिचारे 'वो' बहुत परेशान रहते हैं।ये परेशानी उन्होंने स्वयं ही पैदा की है।न जाने उनको एक दिन क्या सूझा जैसे गणित में कोई चीज़ मान ली जाती है वैसे ही उन्होंने मान लिया है कि वो ...

लट्ठ और प्रेम

अरे भई 'लट्ठ' ऐसे तने हुए ग़ुस्से में कहां जा रहे हो ? "ये पूछने वाले तुम कौन हो बे!" लट्ठ प्रश्न के उत्तर में प्रश्न दागते हुए अकड़ कर बोला। "मुझे नहीं पहचाना..मैं 'प्रेम' हूँ" लट्ठ क...

एक पकौड़ा मुझे भी देना !

एक पकौड़ा मुझे भी देना ! अगर पकौड़ा मिले स्वदेशी क्यों खाएं हम माल विदेशी 'पतंजलि' का यही है कहना एक पकैड़ा मुझे भी देना ! एक पकौड़ा मंदिर वाला एक पकौड़ा मज़्ज़िद वाला धर्म की ...

सुनने वाला कोई नहीं !

कहने को बेताब हैं दुनियां सुनने वाला कोई नहीं ! उलझा दें ज़िन्दगी का ताना बुनने वाला कोई नहीं ! अपनों के ही बीच खो गए ढूढने वाला कोई नहीं ! बिखर गए ज़िन्दगी के पन्ने चुनने वाला ...

गुनहग़ार ही सही !

अगर है ज़ुर्म मेरा बेहिचक बेबाक बोलना मत दो ये मशवरे मैं गुनहग़ार ही सही चुभता है तुम्हें जो मेरा आज़ाद नज़रिया इस बात का शिकवा है तो बेज़ार ही सही अपने परों को काट के ख्वाब...

मजबूरी का नाम..महत्मा गांधी !

बचपन में ही मैने ये कहावत 'मज़बूरी का नाम महत्मा गांधी !' सुनी थी।वो अलग बात है तब न ही मुझे मजबूरी का मतलब पता था और न ही महत्मा गांधी का ही। फिर जब थोड़ी उम्र बढ़ी तो देशप्रेम का भाव हृदय में बढ़ने लगा। भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे नेता मेरे प्रिय हो गए। इसी दौरान मेरे आस-पास रहने वाले टिटपुजिया छाप इतिहासकारों ने मुझे बताया की गांधी बहुत ख़राब था..उसने भगतसिंह को मरवा दिया और गांधी के कारण ही देश का बंटवारा हो गया। हलाकि मेरे आस पास के इन झोलाछाप इतिहासकारों ने जो ये जानकारी मुझे दी थी..उनके ज्ञान का स्रोत क्या था, ये आज तक मुझे नहीं ज्ञात है। गांधी के बारे में न जाने ऐसी कितनी ही विवादित बातें सुनकर मैं बडा हुआ। सौभाग्य से मुझे बााद में गांधी को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ।इससे मैं इतना दावा तो ज़रूर कर सकता हूँ कि गांधी बहुत ही ईमानदार थे। गांधी के घोर आलोचक भी गांधी में चाहे जितनी कमियां निकाले पर उनको भी ये मानना पड़ेगा कि गांधी बहुत ईमानदार थे। उन्होंने जो कहा..सदा वही किया भी।उनकी कथनी करनी में बिल्कुल भी फर्क नहीं था। उन्होंने जीवन भर 'अहिंसा' का पालन किया। ...