तुम्हारा जबसे हुआ है ये दिल 
हमारी तबसे कहाँ चली है !

वो शब की जिसमें शरीक तुम हो 
तुम्हारी सरगोसोशियों में ही गुम हों 
के वक्त ही थम गया हो जैसे 
वो शाम तबसे कहाँ ढली है !
तुम्हारा जबसे  ...


ये दुनियां है लाख भटकाऐ हमको 
मेरी नज़र से छुपाये तुमको 
बसा है दिल में वजूद तेरा 
जिधर भी जाऊँ तेरी गली है !
तुम्हारा जबसे...

लगा धुएँ के गुबार जैसा 
सुलग रहा है ये जिस्म ऐसा 
ये प्यार की आग ही ऐसी कुछ है 
न पूरी तरह बुझी है न ही जली है !
तुम्हारा जबसे...

है मतलबी और दिखावटी दुनियां 
बनाए बाते बनावटी दुनियां 
जो तेरे संग बीते वो पल थे सच्चे 
ये दुनियां मुझको सदा छली है !
तुम्हारा जबसे हुआ है ये दिल 
हमारी तबसे कहाँ चली है !

                ©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'














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