बीमारी और उसके लक्षण



आवेगों का वेग खो जाना !
संवेगों का शिथिल हो जाना !
प्रेम का पाखंड हो जाना !
संयोग वियोग में पाषाण हो जाना !
ये लक्षण है प्रौढ़ता के
और प्रौढ होना एक बीमारी है!

टेस्टोस्टेरॉन हार्मोंस के श्राव का रुक जाना !
बात-बात पर संस्कारों का भाषण झाड़ना !
किशोर जोड़ो को देखकर नाक भौहें सिकोड़ना !
जबकि गारमेंट स्टोर में खड़ी स्टेचू को भी
 हवस भरी नज़र से देखना !
ये लक्षण हैं बुढ़ापे के 
और बुढ़ापा एक विकृति है !

छोटे बच्चों के जैसे 
खिलखिलाना कर हँसना भूल जाना !
प्रेम के निरंतर बहते झरने का सूख जाना !
केवल दो कौड़ी की
राजनीतिक चर्चाओं में टाइम पास करना !
अपनी उपलब्धियों को
बढ़ा-चढ़ा कर बकवास करना !
ये लक्षण हैं मौलिकता के ’जड़’ हो जाने का
और ’जड़’ हो जाना मृत्यु है !
                  ©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'









Comments

Popular posts from this blog

एक दृष्टि में नेहरू

वाह रे प्यारे डिप्लोमेटिक

क्या जानोगे !