तुम क्या जानो

तुम कायदे कानून में लिपटे 
अपने सामाजिक दायरे तक सिमटे 
दकियानूसी परम्पराओं से चिपटे 
अपनी अंतरात्मा से छिपते 
और प्रेम पर भाषण देते हो 
तुम क्या जानो प्रेम क्या है

तुम प्रेक्टिकल ज्ञान को पकड़े 
स्टेट फॉरवर्ड सोच से जकड़े 
बात बात पर कर के झगड़े 
अपनी झूठी ऐंठ में अकड़े 
और संवेदनशील होने की बात करते हो 
तुम क्या जानो संवेदना क्या है 

तुम न कभी अंदर से टूटे 
ना कभी अपनों से छूटे 
न ठोकर खाई न बिखरे 
न कभी घाव खाए गहरे 
और दर्द भरी बातें करते हो 
तुम क्या जानो दर्द क्या हैं !

               ©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'

         













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