फरेबी रोना

मारीच भी रोया था 
फरेब फैलाने के लिए
कैकई भी रोई थी 
आग लगाने के लिए !

रोई तो मंथरा भी थी 
फूट डालने के लिए 
ऐसे ही सियार रोते है 
शोर मचाने के लिए !

अब रोने का मनोविज्ञान 
समझ लेना चाहिए !
जब नीच रोये 
तब द्रवित नहीं होना चाहिए !

            ©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'


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