बेहाल मिर्ज़ापुर

और वही हुआ जो लगभग 90 प्रतिशत वेब सिरीज़ में होता है। पहला पार्ट तो जबरदस्त बनाते हैं लेकिन दूसरे सीज़न में सब गोबर कर देते हैं।'मिर्ज़ापुर' वेब सिरीज़ का भी वही हाल हुआ। 
वैसे तो वेब सिरीज़ का चलन दुनियां के अन्य हिस्सों में बहुत ज़्यादा फैला है लेकिन अगर कहा जाए कि भारत जैसे देश में इसकी शुरुवात 'मिर्ज़ापुर' हुई है, तो ये गलत नहीं होगा।
जितनी लोकप्रियता 'मिर्ज़ापुर' की है शायद ही किसी वेब सिरीज़ की हुई हो। हमारे देश में जहाँ लोग मुश्किल से अपना मोबाइल ही रीचार्ज करा पाते हैं, वहां पर एक वेब सिरीज़ को देखने के लिए अगर लोग 'ऐमेज़ॉन प्राइम' का रीचार्ज करा रहे हैं तो ये एक बड़ी बात है। यही बात इस वेब सिरीज़ को अन्य सिरीज़ से अलग कर देती है।
'मिर्ज़ापुर' का पहला सीज़न हर आयु वर्ग के व्यक्ति को पसंद आया। इसकी कहानी का कसाव...इसके हर करेक्टर की डायलॉग डिलीवरी, अपने आप में अनूठी है। जैसे 'शोले' फिल्म का हर करेक्टर उसी फिल्मी नाम और डायलॉग से अमर हैं। वैसे ही मिर्ज़ापुर के करेक्टर वो चाहे 'गुड्डू पंडित' हो 'कालीन भैया' या 'मुन्ना भैया' हो, अपने अलग-अलग अन्दाज़ के लिए लोगो के बीच अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं। 
'मिर्ज़ापुर' के पहला सीज़न भले ही अपनी अश्लीलता और फूहड़ता को लेकर कितना ही विवादों में रहा हो लेकिन इसे देखने वाला,एक मिनट के लिए भी बोर हुआ हो, ये हो नहीं सकता। इसका पहला ऐपिसोड देखने के बाद जबतक आप पूरा सीज़न देख न डालें तब तक चैन नहीं आता है। 
लेकिन  दूसरे सीज़न में ये बात नहीं है। दूसरे सीज़न को देख के ऐसा लगता है जैसे 'मिर्ज़ापुर' ने अपनी आत्मा ही खो दी है। इसकी स्टोरी में पहले सीज़न की तरह फ्लो नहीं है। दूसरे सीज़न में जोड़े गए सारे नये करेक्टरों को जितना टाईम इस कहानी से जुड़ने में लगता है। उतनी ही वेब सिरीज़ बोझिल होती जाती है।
इस सीज़न का उबाऊ और बोझिल होने का एक कारण ये भी है कि इसमे 'गुड्ड पंडित' के करेक्टर में बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया है। गुड्डू पंडित की गम्भीर और दर्द भरी छवि, दर्शको को पहले सीज़न की तरह आकर्षित करने में असफल दिखती है। इसके साथ ही गुड्डू पंडित के करेक्टर को पिछले सीज़न की तरह कहानी में स्पेस भी नहीं मिला है। 
इसके बावजूद भी अगर आप दूसरा सीज़न देखना चाहते हैं तो आप 'मुन्ना भैया' के लिए देख सकते हैं। मैं गारंटी के साथ कह सकता हुँ की जितनी भी देर स्क्रीन पे मुन्ना भईया को दिखाया जाता है उनती देर आप के चहरे पे स्माइल रहेगी।इस सीज़न में भी मुन्ना भईया की चुहुलबाज़ी अपने शबाब पे रहती है। उनकी संवाद अदायगी में और निखार आ गया है।
'मिर्ज़ापुर' वेब सिरीज़ को बनाने वाली टीम इस वेब सिरीज़ की सफलता से गदगद होकर जब तक इसके 10 या 12 सीज़न नहीं बना लेगी, तब तक दम नहीं लेगी। लेकिन उनको ये समझना पड़ेगा की काठ की हांड़ी बार बार नहीं चढ़ती। इसलिये पहले सीज़न की तरह कुछ मौलिक ढूढ के लाएं। वही कहानी रबड़ की तरह खीचने से कुछ हासिल नहीं होगा।


                               ● दीपक शर्मा 'सार्थक'

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