पूरी शब बेसबब यूं ग़ुज़रती रही वो बिगड़ते रहे हम मनाते रहे! उनकी नाराज़गी पर भी सदके मेरे हम मोहोब्बत में पलके बिछाते रहे! वो न समझे मेरे प्यार को अब तलक जबकि दिल खोल कर हम दि...
बिचारे 'वो' बहुत परेशान रहते हैं।ये परेशानी उन्होंने स्वयं ही पैदा की है।न जाने उनको एक दिन क्या सूझा जैसे गणित में कोई चीज़ मान ली जाती है वैसे ही उन्होंने मान लिया है कि वो ...
अरे भई 'लट्ठ' ऐसे तने हुए ग़ुस्से में कहां जा रहे हो ? "ये पूछने वाले तुम कौन हो बे!" लट्ठ प्रश्न के उत्तर में प्रश्न दागते हुए अकड़ कर बोला। "मुझे नहीं पहचाना..मैं 'प्रेम' हूँ" लट्ठ क...
एक पकौड़ा मुझे भी देना ! अगर पकौड़ा मिले स्वदेशी क्यों खाएं हम माल विदेशी 'पतंजलि' का यही है कहना एक पकैड़ा मुझे भी देना ! एक पकौड़ा मंदिर वाला एक पकौड़ा मज़्ज़िद वाला धर्म की ...
कहने को बेताब हैं दुनियां सुनने वाला कोई नहीं ! उलझा दें ज़िन्दगी का ताना बुनने वाला कोई नहीं ! अपनों के ही बीच खो गए ढूढने वाला कोई नहीं ! बिखर गए ज़िन्दगी के पन्ने चुनने वाला ...
अगर है ज़ुर्म मेरा बेहिचक बेबाक बोलना मत दो ये मशवरे मैं गुनहग़ार ही सही चुभता है तुम्हें जो मेरा आज़ाद नज़रिया इस बात का शिकवा है तो बेज़ार ही सही अपने परों को काट के ख्वाब...