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Showing posts from September, 2017

कहां बचने का चारा है !

दरख़्तों को है जो काटे उसे मालूम भी है क्या ? किसी ने प्यार से उसको कभी सींचा सवांरा है ! ज़माने भर की दौलत से नहीं मिटती हवस अक्सर कोई दो जून की रोटी में कर लेता गुज़ारा है ! बड़...

आॅनलाइन

आजकल हर किसी के मुह से एक शब्द जो बार-बार सुनने को मिलता है..वो है 'आॅनलाइन' अगर कहा जाए कि आॅनलाइन होने का अर्थ ..जीवित होना है, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। और वो भी दिन दूर ...

वाह रे बाज़ार !

सलमान ख़ान अपनी मूवी में डायलाॅग मारते हैं( हमारे हीरो डायलाॅग कहते नहीं..बल्कि मारते हैं)- "मुझपे एक अहसान करना ..कि मुझपे कोई अहसान मत करना !" यानि कि अब वो  ज़माना बदल गया जब मद...

कुछ मुहाबरे

हिन्दी के कुछ मुहाबरे एवं उनका वाक्य प्रयोग- १-गुड़ गोबर होना वाक्य प्रयोग-'नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था गुड़ गोबर हो गयी है।' 2-नीम हक़ीम खतरे में जान वाक्य प्रयोग-'अर्थव...

सफेद झूठ अच्छा है !

बहुत काले सच से सफेद झूठ अच्छा है ! ख़ैरात के अमृत से ज़हर का घूट अच्छा है! जातीय गोलबंदी से आपस में फूट अच्छा है! दिखावटी ईमानदारी से खुली लूट अच्छा है! विदेशी पहनावे से देसी ...