गीत लिख दे तू...

चल आज कोई एक अच्छा गीत लिख दे तू
बजती घटाओ सा मधुर संगीत लिख दे तू

खिझते झिझकते पास आने से जो शरमाए
उसकी हथेली थाम के मनमीत लिख दे तू
चल आज कोई एक अच्छा गीत लिख दे तू...

फैला बहारों सा चमन में प्यार का आंचल
खिलती हुई कलियों पे अपनी प्रीत लिख दे तू
चल आज कोई एक अच्छा गीत लिख दे तू...

सारा ज़माना प्यार से मरहूम लगता है
हर दिल को जो रौशन करे वो रीत लिख दे तू
चल आज कोई एक अच्छा गीत लिख दे तू...

लड़ते झगड़ते  नफ़रतो के साथ है जीते
तल्ख़ी मिटाकर, प्यार की बस जीत लिख दे तू
चल आज कोई एक अच्छा गीत लिख दे तू
बजती घटाओ सा कोई संगीत लिख दे तू...

            -- © दीपक शर्मा 'सार्थक'


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