ये दौर तो है बस बातों का..

मतलब के रिश्ते नातों का
ये दौर तो है बस बातों का...

उगते सूरज की याद नहीं
उजियाले का अहसास नहीं
कामुक अश्लील हवस से भरी
हर किस्सा है बस रातों का
मतलब के रिश्ते नातों का
ये दौर तो है बस बातों का...

चाहे ईमान बदल जाए
कैसे भी काम निकल जाए
लालच का पर्दा आँखो पर
रोना रोएं हालातों का
मतलब के रिश्ते नातों का
ये दौर तो है बस बातों का...

पहले तो गले से लगाएंगे
फिर ख़न्जर पीठ पे मारेंगे
अपनों के हाथ हैं खून सने
ये काम है उनके हाथों का
मतलब के रिश्ते नातों का
ये दौर तो है बस बातों का...


तेरी हस्ती ही मिटा देगा
ये देश की नाव डुबा देगा
वो नेता मुझको रास नहीं
जो भूखा हो बस लातों का
मतलब के रिश्ते नातो का
ये दौर तो है बस बातों का...

                 -- © दीपक शर्मा 'सार्थक'





Comments

Popular posts from this blog

एक दृष्टि में नेहरू

वाह रे प्यारे डिप्लोमेटिक

क्या जानोगे !