सैलाब जो दिल में रखते हैं..

हल्की बूंदों की बारिश में
तिनके जैसे बह जाते हो
कुछ हाल ज़रा उनका पूछो
सैलाब जो दिल में रखते हैं

छोटी सी बात लगी दिल पे
आ जाते हैं आंसू आंखों में
कुछ लोग जिगर पे घाव लिए
दिल खोल के ग़म में हंसते हैं

कभी ठेस जो थोड़ी लग जाए
दिल थाम के आहें भरते हो
कुछ ऐसे भी ग़म के मारे हैं
जो टूट के रोज बिखरते हैं

दो क़दम भी साथ न चल पाए
और बात वफ़ा की करते हो
हम प्यार में चाहे मर जाएं
पर हाथ पकड़ कर चलते हैं

         -- दीपक शर्मा 'सार्थक'











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