फ़ितरत बदलने से तेरी हैरान नहीं हूँ...
करते हो साज़िशे समझ के बेख़बर मुझे रहता हूँ चुप मगर कोई अंजान नहीं हूँ पहले से ही किरदार से वाकिफ़ हूँ तेरे मैं फितरत बदलने से तेरी हैरान नहीं हूँ कैसा हूँ मैं, ये दूर से क़यास मत लगा अफ़सोस इस क़दर भी मैं आसान नहीं हूँ छेड़ो नहीं कहीं कि न आ जाए जलजला हल्के से गुज़र जाए वो तूफान नहीं हूँ जो कह दिया उसी पे हूँ क़ायम, ख़ुदा क़सम ! सरकार का दिया कोई फ़रमान नहीं हूँ मज़हब के नाम पर मैं नहीं ख़ून बहाता काफ़िर तो हूँ मगर कोई हैवान नहीं हूँ अपने ही जब लगे डुबाने नाव को मेरी ख़ुद को नहीं बचाऊं यूँ नादान नहीं हूँ अब तो ग़मो में भी मुझे आ जाती है हँसी सुन ले ऐ जिन्दगी ! मैं परेशान नहीं हूँ -- © दीपक शर्मा 'सार्थक'