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Showing posts from 2016

तुम शायर हो..!

कभी हँसते हो         कभी रोते हो कभी उलझे हो           कभी सुलझे हो        तुम शायर हो....या पागल हो..!! कितना गढ़ते हो             कितना रचते हो केवल शब्दों में          ही..बसते हो     अपनी हांड़ी में....पकते चावल हो..!! ये जताते हो            वो जनाते हो ख़ुद की बातें ही            बस बताते हो     खंजर छूरी से.....तुम ही घायल हो...!! ये समझते हो           एक तुम ही हो ये दिखाते हो           'प्रेम'... तुमही हो    अपनी बातों के....लगते क़ायल हो..!! या तो जलते हो           या जलाते ह...

कमर्शल लगते हो..

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बहुत कमर्शल लगते हो.. ये तुम्हारा शेयर मार्केट वाला चहेरा सेंसेक्स सा बदन बजट सी मुस्कुराहट घायल कर जाती है... वो म्युचुअल फंड वाला रिश्ता जिसे तुमने तोड़ दिया चुभ जाता है कभी-कभी पर क्या करें  तेरी ग्लोबल अदाएं दिल की धड़कनों को इनफ्लेशन सा बढ़ा देती हैं... ये प्राॅफिट-लाॅस वाली अांखे जो मोहब्बत को नफा-नुकसान से तौलती हैं ये एक्सपोर्ट इम्पोर्ट वाला दिल जो बदलता रहता है एक जगह से दूसरी जगह.. पर सोचने वाली बात ये है कि  इतना हिसाब-किताब कैसे रख लेते हो ? हर वक्त जैसे बाज़ार में खड़े हो पर देखना.. कहीं बाजारू न हो जाना बहुत कमर्शल लगते हो...                          --दीपक शर्मा ' सार्थक'

बेमकसद सा

बेमकसद सा बेमतलब सा प्यार है मेरा... फूलों के खिलने सा अपनों के मिलने सा चाहत में मिटने सा अहसास है मेरा... सरहदों पर अमन सा रेगिस्तान में चमन सा गै़र मुल्क में वतन सा इन्तजा़र है मेरा... बच्चे की मुस्कुराहट सा ताजमहल की बनावट सा बसंत आने की आहट सा ऐतबार है मेरा... मोहोब्बत मिलने पर राहत सा कोई प्यारी कहावत सा प्यार में डूबी आयत सा तलबगार हूं तेरा... -- दीपक शर्मा 'सार्थक'

कितना जताते हैं..

हर किसी की अपनी-अपनी समस्याएं हैं। अधिकतर लोगों को ये शिकायत है कि दुनियां उनसे हर चीज छुपाती है पर हमारी समस्या अधिकतर लोगों वाली नहीं है। हमारी समस्या भी हमारी तरह अजीब है। मैंने महसूस किया है कि आज कल लोग छुपा नहीं रहे हैं बल्की जता रहे हैं। जिसके पास जो है उसे वो जताने में लगा है।आजकल मुझे हर जगह 'जताने' वाले लोग मिल जाते हैं मकान मालिक किराएदार पर अनावश्यक धौंस जमाकर जता रहा है कि घर उसका है।फुटपात पर कार चलाकर कार वाला जता रहा है कि उसके पास कार है। मन्दिर जाओ तो वहां अमीर लोग बड़ा चढ़ावा चढ़ाकर भगवान को ये जता रहे हैं कि "देखो भगवान..! हम ही तुम्हारे सबसे बड़े भक्त हैं।" आज सुबह न्यूज़ पेपर उठाया तो देखा मुख्य पृष्ठ पर एक डियोड्रेन्ट का ऐड है। डियोड्रेंट ने ये जता दिया कि आज की पहली ख़बर मैं हूं।उस डियो के ऐड पर एक महिला का चित्र था जो ये जताने में लगी थी कि " दुनियां वालों देख लो...मैं महिला ही हूं।" सुबूत के तौर पर वो खुद को प्रदर्शित कर रही थी। वैसे देखा जाए तो मज़ा छुपाने में नहीं जताने में ही है।पूर्व प्रधानमन्त्री जी खुद को छु...

'बातें बनाना' सिखा दूं

चलो तुम्हें 'बातें बनाना' सिखा दूं पहले १०० ग्राम 'बातें' लो और उन्हें अपने अन्दर के ज़हर में थोड़ी देर भिगो दो जब 'बातें' थोड़ा ज़हर सोंक लें तब उन्हें चापलूसी के शहद में लपेट कर सुखा लें.. बातों को चटपटा बनाने के लिए अपने मतलबानुसार(स्वादानुसार) दो या तीन चुटकी अश्लीलता मिला लें.. इस तरह तैयार 'बातों' को अपनी धारदार ज़बान से काट छांट कर नुकीला बना लें.. और सामने वाले के सीने पे निशाना साध के इन बातों को दे मारें(परोसें) अगर ये बातें सामने वाले का कलेजा चीरने में सफल हो गई तो समझ लो तुम्हें 'बातें बनाना' आ गया.. -- दीपक शर्मा 'सार्थक'

सुनो...उत्तर प्रदेश..!

            सुनो..!!! प्यारे 'उत्तर प्रदेश...! सुना है..तुम बसते हो..   गंगा यमुना दोआब के  उपजाऊ मैंदानों में.. तुम जो परोसोगे, पूरा देश खाएगा.. उत्तर प्रदेश...! क्या लगता है तुम्हें.. क्यों मिलने आता है तुमसे.. पूरा पश्चिम बनारस की तंग गलियों में.. क्योंकि ... उत्तर प्रदेश..! तुम 'उत्तर' हो.. हर सवाल का.. जो पश्चिम पूछता है.. भारत से तुम जैसा दिखोगे, पूरा देश दिखेगा... सुनो...उत्तर प्रदेश..! तुम गवाह हो हर घटना के... तुमने देखा है  प्रयाग के कुम्भ में .. मिलते गले पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण  को.. तुम जब बताओगे, पूरा देश जानेगा... उत्तर प्रदेश....! तुमने ही तो सिखाया है साथ रहना एक आंगन में.. तुम्हारी क्यारी में खिलते हैं 'महकते फूल' हर मजहब के... तुम जितना महकोगे, पूरा देश महकेगा.... सुनो...उत्तर प्रदेश...! कितने रंगीन हो तुम दुनिया के सारे रंग तुममे नज़र आते हैं गंगा की तरह निर्मल है तुम्हारी मुस्कुराहट.. तुम जो मुस्कुराओगे पूरा देश मुस्कुराएगा.... सुनो..उत्तर प्रदेश..! जब जिसे तुमने चु...

चुल्ल मुक्त देश

                                                                        चुल्ल मुक्त देश हाल ही में रिलीज़ हुई मूवी कपूर एण्ड सन्स का एक गाना - 'लड़की व्युटीफूल  कर गई चुल्ल' हो या फिर सिंह इज ब्लिंग का लोकप्रिय गाना - 'दिल करे चूँ चां चूँ चां चूँ' हो ये  आज कल  के नए ज़माने के गानों को सुनकर पुराने ज़माने के लोग मुँह बिचका के कहते हैं की आज कल के गीतकारों का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। हो क्या गया है आज के गीतकारों को? लेकिन अगर गहराई से देखा जाये तो इसमें गीतकारों का क्या दोष है ,वो तो बिचारा बस वही लिखता है जो उसके वक्त के  जनरेशन की मनोदशा हो। पुराने गीतकार तो अपने गीतों में चाँद का ज़िक्र करते नहीं थकते हैं तो कुछ गीतकारों को अपनी प्रेमिका के खबसूरत थोबड़े से तुलना करने के लिए दुनियां में कुछ मिल ही नहीं रहा है। ये पुराने गीतकार ऐसे गीत इसी लिए लिख पाए क्योंकि उस वक्त के जनरेशन की य...