तुम शायर हो..!
कभी हँसते हो कभी रोते हो कभी उलझे हो कभी सुलझे हो तुम शायर हो....या पागल हो..!! कितना गढ़ते हो कितना रचते हो केवल शब्दों में ही..बसते हो अपनी हांड़ी में....पकते चावल हो..!! ये जताते हो वो जनाते हो ख़ुद की बातें ही बस बताते हो खंजर छूरी से.....तुम ही घायल हो...!! ये समझते हो एक तुम ही हो ये दिखाते हो 'प्रेम'... तुमही हो अपनी बातों के....लगते क़ायल हो..!! या तो जलते हो या जलाते ह...