तुम ही गए हो जीत नफ़रत की जंग में मेरी हुई है हार चलो मान लिया ! हमने कि मोहोब्बत हमने कि इबादत हम ही हैं गुनहगार चलो मान लिया ! इक रोज गले से हमको लगाओगे अब तक था इन्तज़ार चलो मा...
मुख़ातिब हो के ग़ैरों से कभी दिल की कही है क्या किया जाहिर नहीं ख़ुद को कसक दिल में नहीं है क्या दमन करके मोहब्बत का मिटाके ख़्वाहिशे अपनी सदा उलझे रहे इसमे ग़लत क्या है सह...
लो मुझे फिर से शिकायत हो गई! पर इस बार मुझे किसी 'समस्या' से शिकायत नहीं है, बल्कि इसबार मुझे 'समाधान' से शिकायत है। न जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है कि कल तक जो समस्या के समाधान हुआ क...
हुई फिर से कड़ी निंदा वही सूखी सड़ी निंदा बिना सिर पैर के करते हैं 'साहब' हर घड़ी निंदा वो "छप्पन इंच" के सीने से ज़्यादा है बड़ी निंदा उखड़ आई ज़मीने ख़ाक से फिर से गड़ी निंदा ...
एक कहानी सुनाता हूँ। एक बार की बात है ..दूर पश्चिम में 4 जुलाई को एक देश आज़ाद हुआ जिसे अमेरिका के नाम से जाना गया। वहाँ के मूल निवासी जिन्हें 'रेड इण्डिन्स' कहा जाता था ,उनको खत्म करके तथा पूरे अमेरिकी भूभाग पर कब्ज़ा करके के लिए श्वेत अमेरिकियों ने बहुत युद्ध लड़े। इन युद्धों को जीतने के लिए काफी बड़ी मात्रा में हथियारों की आवश्यकता पड़ी।जिसे पूरा करने के लिए अमेरिका के उद्योगपतियों ने हथियार निर्माण में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और इस तरह हथियार निर्माण का उद्योग अमेरिका में ज़ोरो से फलने फूलने लगा। समय बीतता रहा फिर विश्व युद्घ का दौर आया। जिसके कारण हथियारो की मांग पूरे विश्व में ज़ोर पकड़ने लगी।अमेरिका ने विश्व युद्धो(प्रथम एवं द्वितीय) का फायदा उठाकर खूब हथियार बेचे। और इस तरह अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अार्म्स इन्डस्ट्री का दबदबा हो गया।और इसी बलबूते पर वो एक विकसित देश बनकर पूरे विश्व पटल पर उभरा। एक जैसी स्थित हमेशा नहीं रहती । फिर एक वो भी दौर आया जब युद्ध को लेकर वैश्विक स्तर पर समाज की सोच बदलने लगी। दुनियां शान्ति की ओर बढ़ने लगी।अमेरिका में भी वहां की जनता ने युद्...