सुनो..!!! प्यारे 'उत्तर प्रदेश...! सुना है..तुम बसते हो.. गंगा यमुना दोआब के उपजाऊ मैंदानों में.. तुम जो परोसोगे, पूरा देश खाएगा.. उत्तर प्रदेश...! क्या लगता है तुम्हें.. क्यों मिलने आता है तुमसे.. पूरा पश्चिम बनारस की तंग गलियों में.. क्योंकि ... उत्तर प्रदेश..! तुम 'उत्तर' हो.. हर सवाल का.. जो पश्चिम पूछता है.. भारत से तुम जैसा दिखोगे, पूरा देश दिखेगा... सुनो...उत्तर प्रदेश..! तुम गवाह हो हर घटना के... तुमने देखा है प्रयाग के कुम्भ में .. मिलते गले पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण को.. तुम जब बताओगे, पूरा देश जानेगा... उत्तर प्रदेश....! तुमने ही तो सिखाया है साथ रहना एक आंगन में.. तुम्हारी क्यारी में खिलते हैं 'महकते फूल' हर मजहब के... तुम जितना महकोगे, पूरा देश महकेगा.... सुनो...उत्तर प्रदेश...! कितने रंगीन हो तुम दुनिया के सारे रंग तुममे नज़र आते हैं गंगा की तरह निर्मल है तुम्हारी मुस्कुराहट.. तुम जो मुस्कुराओगे पूरा देश मुस्कुराएगा.... सुनो..उत्तर प्रदेश..! जब जिसे तुमने चु...