लखन सिंह
शिक्षा की ज्योति को जलाया
शिष्य का तम हर रहे
कर्तव्य सब अपने निभाकर !
भागीरथी जैसे प्रयासों
से सकल स्कूल सुधरा
फल की चिंता भूलकर
निष्काम भावो में समाकर !
लक्ष्य जो दुश्वार लगते थे
सभी को अब तलक सब
निज परिश्रम से किया
पूरा सभी उनको दिखाकर !
रामपुर की भूमि पर
वो छा गए लक्ष्मण के जैसे
धन्य अभनापुर हुआ ये
’लखन जी’ का साथ पाकर !
©️ दीपक शर्मा ’सार्थक’
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