अब देश में सब कुछ है बंद

मुद्रा तो बस बदनाम है
अब देश में सब कुछ है बंद !

जितने विरोध के थे प्रसंग
कुचले सहस्त्र शब्दों के कंठ
जिव्हा हुईं अगणित अपंग
जनमत हुआ राजा से रंक
जिसने भी एक आवाज की
वो बैन है या फिर है तंग
मुद्रा तो बस बदनाम है
अब देश में सब कुछ है बंद !

मस्तिष्क में बैठा भुजंग
वसुधा हुई जैसे बेरंग
सुचिता में अब लग गई जंग
सब मस्त हैं खाकर के भंग
गरदन पे जब आरी चली
कट के गिरी जैसे पतंग
मुद्रा तो बस बदनाम है
अब देश में सब कुछ है बंद !

              ©️ दीपक शर्मा ’सार्थक’





Comments

Popular posts from this blog

एक दृष्टि में नेहरू

वाह रे प्यारे डिप्लोमेटिक

क्या जानोगे !