कहानी
चुनिंदा लोगों ने
लिख डाली हैं कुछ कहानियां
हमारी अपनी कोई कहानी नहीं
हम तो बस एक किरदार भर हैं
जो उन कहानियों को कहते हैं
वही गिनी-चुनी कहानियां
वही गिने-चुने किरदार
वही घिसी-पिटी स्क्रिप्ट
थर्ड क्लास के दर्शकों के बीच
उसी रील को घिसते रहते हैं
पैदा होते ही दिखा दी जाती है
हमको एक दिशा,
फिर बैठा दिया जाता है
बिन चंपू की नाव में
और लहरों के सहारे
निर्धारित दिशा में बहते रहते हैं
अपनी कहानी और किरदार
कहीं अंदर दफन करके
समाज से मान्यता प्राप्त
कहानियों को क्रत्रिम रूप से जीकर
लगे हैं समाज को खुश करने में
पर अंदर ही अंदर दर्द सहते रहते हैं
फिर भी दूसरों की कहानियां कहते रहते हैं
©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'
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