Posts

Showing posts from June, 2021
वो देखते हैं फिल्म  सलमान खान की ! सुनते हैं संगीत  यो-यो हनी का ! देखते हैं न्यूज  आजतक और इंडिया टीवी पर !  पढ़ते हैं न्यूज पेपर  पिछले पेज पर छपी गॉसिप ख़बरें ! आजकल वो सुनने लगे हैं कविताएं  "कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है!" समझने लगे हैं खुद को कवि  और करने लगे हैं तुकबन्दी ! साथ ही पढ़ने लगे है साहित्य  चेतन भगत का! समझने लगे हैं देश का इतिहास  एकता कपूर के सीरियल को देख के! फिर वो झाड़ते हैं ज्ञान  देख की स्थिति पर ! देते हैं भाषण  समाज और संस्कृति पर !           ©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'

इंसान और ईर्ष्या

कहने को तो ईर्ष्या पर काफी कुछ शोध किया जा चुका है, लेकिन ईर्ष्या कितने प्रकार की है इसपर ज्यादा चर्चा नहीं हुई है।इसलिए ईर्ष्या कितने प्रकार की होती है ये मैं आपको बताता हूं। हालाकि ईर्ष्या कैसी होगी ये पूरी तरह इसपर निर्भर करता है कि ईर्ष्यालु व्यक्ति कैसा है। यानी जितने प्रकार का इंसान है उतने ही प्रकार की ईर्ष्या भी होती है। तो प्रस्तुत है कुछ प्रमुख इंसानो की प्रजाति और उनसे जुड़ी ईर्ष्या- (1) वाचाल ईर्ष्यालु- इस प्रकार के ईर्ष्यालु व्यक्ति का कोई स्तर नहीं होता। ऐसे वाचाल ईर्ष्यालु अपने अंदर की ईर्ष्या को पचा नहीं पाते और जिस किसी व्यक्ति से ये ईर्ष्या करते हैं,उनसे अपने अंदर की ईर्ष्या के भाव ये छुपा नहीं पाते।इसलिए ये जिससे ईर्ष्या करते है ,उसका नाम ले ले कर चारों तरफ उसकी निंदा करते हैं। जिससे सामने वाले व्यक्ति को पता चल जाता है कि ये व्यक्ति मुझसे ईर्ष्या करता है। (2) आदर्श ईर्ष्यालु - सच पूछो तो इस कटेगरी के व्यक्ति आदर्श ईर्ष्यालु होते हैं। ये अपने अंदर की ईर्ष्या को कभी जाहिर नहीं होने देते। ऐसे ईर्ष्यालु व्यक्ति गांधी जी के तीन बन्दरों में से उस बंदर की तरह होते हैं, जिस...

और पेड़ का क्या

एक बार की बात है दो भाई एक गांव में रहते थे। दोनों भाइयों में बहुत प्रेम था। इसीलिए आपस में मिलकर ही खेती करते थे। लेकिन कुछ समय बाद जब उन दोनों का विवाह हुआ तब उनकी पत्नियों के बीच छोटी छोटी बात को लेकर आपस में लड़ाई झगड़ा शुरू हो गया।जिसके कारण दोनों भाइयों में बटवारा हो गया और दोनों अलग अलग खेती करने लगे। खैर कहानी का मुख्य विषय ये नहीं है कि उनमे कैसे बँटवारा हुआ। क्योंकि ये तो हर घर की कहानी है। अब आते है कहानी के मुख्य हिस्से पर- दोनों भाइयों में बंटवारा होने के कई सालों बाद उन दोनों के बीच एक पेड़ को लेकर विवाद हो गया। विवाद भी ऐसा जिसका निपटारा आसपड़ोस के लोग नहीं कर पा रहे थे। उनके विवाद का कारण एक पेड़ था। बड़े भाई का दावा था कि उस पेड़ को बँटवारे से पहले उसने कहीं बाहर से लाकर लगाया था इसलिए उस पेड़ पर उसका अधिकार है। वही छोटे भाई का कहना था कि चूंकि वो पेड़ उसके हिस्से की जमीन पर लगा था। और उसने पेड़ की सालों तक देखभाल की है इसलिए उस पेड़ पर उसका हक है। इस तरह उन दोनों भाइयों के पेड़ का ये विवाद चर्चा का विषय बन गया। दूर-दूर से न्याय करने वाले लोग इस विवाद का निपटारा करने आ...
सच कहूँ तो  बिना नकारात्मक तत्व की समझ के  सकारात्मक होने का ढिंढोरा पीटना  कुछ वैसे ही है जैसे  कोई भांड बिना मतलब के  ढोल बजाए जा रहा है  जैसे कोई बेसुरा गवइया  बिन सुर-ताल के गाए जा रहा है  जैसे कोई पेटू इंसान  ठूँस ठूँस के खाए जा रहा है  जैसे कोई मूर्ख इंसान यूँही  खयाली पुलाव पकाए जा रहा है  सच कहूँ तो  बिना 'ना' को जाने  हर बात पर हाँ-हाँ करना  कुछ वैसे ही है जैसे  कोई नया धोबी  कथरी में साबुन लगाए जा रहा है  जैसे कुंए का मेढ़क  अपनी समझ पर इतराए जा रहा है  जैसे कोई जुआरी  ताश के पत्तों का महल बनाए जा रहा है  जैसे सच को नजरअंदाज कर कोई  अपनी गर्दन जमीन में धंसाए जा रहा है                  ©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'