एक बंदर और एक बकरी में बहुत दोस्ती थी। दोनों जंगल में रहते थे और दोनों साथ ही रहते थे। बंदर बहुत ही बातूनी और हाजिर जवाब था। बकरी को बंदर की यही अदा बहुत पसन्द थी। दोनों ने ये भी वादा किया था कि कभी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे।
पर एक बार की बात है, बंदर पेड़ पर बैठा फल खा रहा था और बकरी उसी पेड़ के नीचे घास चर रही थी। तभी वहां एक शेर आ गया और उसने बकरी पर हमला कर दिया। बकरी बहुत तेज चिल्लाई। ये देख कर बंदर जिस डाल पर बैठा था,उसे खूब तेजी से हिलाने लगा। उसके बाद बंदर उछल कर दूसरी डाल पर बैठ गया और फिर उसे भी हिलाने लगा। इस तरह बंदर एक-एक करके उस पेड़ की हर डाल को हिलाने लगा। उधर तब तक शेर बकरी को मार कर चट कर गया। और वहां से चला गया।
ये पूरा घटनाक्रम उसी पेड़ पर बैठा एक कौवा देख रहा था। जब उससे नहीं रहा गया तो उसने बन्दर से पूछ ही लिया," क्यूँ बंदर भाई..वो बकरी तो तुम्हारी मित्र थी।फिर जब शेर उसको मार के खा रहा था तो तुमने कुछ किया क्यूँ नहीं!"
बंदर बोला ," क्या बात करते हो कौवा भाई, तुमने देखा नहीं मैंने बकरी को बचाने के लिए कितनी मेहनत की।कितना शोर मचाया..पेड़ की हर शाखा को कितनी जोर-जोर से हिलाया था। उसके बाद भी वो शेर बकरी को मार के खा गया तो मेरी क्या गलती।"
उसके बाद कौए ने पूरे जंगल में ये सूचना पहुचा दी कि जब शेर बकरी को मार कर खा रहा था तो बंदर ने उसे बचाने की बहुत कोशिश की, पर बिचारा उसे बचा नहीं पाया।
यहां पर ये कहानी खत्म होती है।बस इसे सुनाने का मतलब ये था कि आप समझ सकें कि इस कहानी में जो शेर था वो कोरोना वायरस है। जो बकरी थी, वो जनता है। जो कौवा है, वो मीडिया चैनल हैं। और बंदर कौन है ..ये तो आप लोग समझ ही गए होंगे।
● सार्थक
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