विश्व में कोरोना से मरने वालों की संख्या 20 हज़ार हो गई है और इसमें निरंतर इज़ाफा होता जा रहा है।यहाँ गौर करने वाली बात ये है की भारत जैसे देश, जिसकी 75%आबादी को आज़ादी के 75 साल बाद भी अभी तक सरकार पूरी तरह ये समझाने में कामयाब नहीं हो पाई है कि कमसे कम खुले में सौच न करें।और सौच के बाद कमसे कम एक बार हाथ तो धो ही लें। ऐसी स्थिति में हैंड सेनिटाईज़ार और साफ सफाई की बात करना बैमानी सी हो जाती है।
चूँकि समस्या इतनी विकराल है कि पूरी मानवता हिल गई है।ऐसे में इसका सामना करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।
युरोप जैसे विकसित देशो में इस महामारी का विकराल रूप देख के,और अपने देश के आधारभूत संरचना का पूरा आकलन करने के बाद इस महामारी से बचने का उपाय जो मुझे समझ में आ रहा है वो आप से खुले दिल से कहना चाह रहा हूँ ।बात तीखी हो सकती है..कलेजे में चुभ सकती है पर यकीन मानिए सच ही बोलूंगा।
जैसा की प्रधान सेवक से लेके ग्राम प्रधान तक इस महामारी से बचने के लिए पूरी तरह घर पर ही रहने की बात कर रहे हैं। देश को लॉकडाउन कर दिया गया है।पर फिर भी लोग बाहर निकल रहे हैं। अब आप से ज़िक्र करना चहता हूँ की कौन कौन सी परिस्थिति हो तभी आप बाहर निकलें-
1 जब ऐसी परस्थिति लगे की अगर आप बाहर नहीं निकले तो फिर आप भूख से मर जायेंगे। इसके अलावा अगर अपनी चटपटी ज़बान से मजबूर होके बार बार मूली मिर्च धनियां प्याज़ लेने बाहर निकलेंगे,तो समझ लीजिए आपकी चटपटी ज़बान आप को मरवा के मानेगी। अगर जिन्दगी रही तो तरह तरह के स्वाद वाले व्यंजन बना के खा लीजीएगा। फिलहाल बस जिन्दा रहिए चाहे नमक रोटी ही क्यूँ ना खाना पड़े। इसलिए घर पर ही रहिए।
2- दुसरी समझने वाली बात ये है की सरकार आप की कुछ बहुत ही ज़रूरी आवश्कताए पूरी कर सकती है लेकिन आप के उटपटांग खाने पीने वाली हवस पूरी नहीं कर सकती।इसलिये खाने पीने में संयम बरते। घर पर पड़े-पड़े आवश्यक्ता से अधिक ना खाए। सीमित मात्रा मे रसोई गैस का प्रयोग करें और घर पर ही रहें ।
3-दुध के लिये बार बार बाहर निकलने के बजाय काली चाय पीने की आदत डालें।जो स्वास्थ के नजरिये से भी फाइदेमंद होती है।इसलिये घर पर ही रहिए।
4-अगर आप को सिगरेट बीड़ी गुटका जैसे लीचड़ नशे की चुल्ल है और उस चक्कर मे आप अपने घर के आस पास की दुकानों पर पुलिस से बचके सुबह शाम जाते हैं, तो ये पूरी तरह बन्द कर दें। इस लॉकडाउन को इन सड़कछाप नशों से उबरने के एक अवसर की तरह देखें। और घर पर ही रहें।
5 घर से बाहर निकल कर पूजा-पाठ, नमाज़ जैसे क्रिया-कलापों को सामान्य दिनों के लिए बचा के रखें। ऊपर वाला पहले से ही जानता है की मानव कितना स्वार्थी है।जब इन्सान की पूरी तरह लग जाती है तभी वो उसे याद करता है। इसमे डरने वाली कोई बात नहीं है।चूँकि ऊपर वाला इन्सानो जैसा नहीं है इसलिए वो निस्वार्थ भाव से आप की मदद करेगा,चाहे आप मन्दिर मस्जिद जाए या न जाए।इसलिये घर पर ही रहिए।
कुल मिला कर इन सब बातों का जो पुरा लब्बोलुआब है वो ये है कि घर पर ही रहिए..घर पर ही रहिए..और घर पर ही रहिए।
                  ●दीपक शर्मा 'सार्थक'

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