दुनियांदारी

दुनियां, क्या हो गया है तुमको !
ख़ुद में ही बस मगन..
ख़ुद की ही बस लगन..
ख़ुद के लिए जतन..
ख़ुद किया पतन..
दुनियां, क्या मिल गया है तुमको !
अपनी ही बस फ़िकर..
अपनो से बेख़बर..
अपना ही बस सफर..
एकदम से बेसबर..
दुनियां क्या पा लिया है तुमने !
अंदर की ये तड़प..
बाहर की ये झड़प..
एकदम तड़क भड़क..
फिर्ज़ी की ये हड़क..
दुनियां क्या खो दिया है तुमने !

     © दीपक शर्मा 'सार्थक'

Comments

Popular posts from this blog

एक दृष्टि में नेहरू

वाह रे प्यारे डिप्लोमेटिक

क्या जानोगे !