भ्रमित पथिक सा भटक रहे वो
लक्ष से जिनको प्यार नहीं है...
माना रंगो की बारिश है
एक रंग पर चुनना है
दसो दिशाएं प्यार भरी पर
डगर एक ही चलना है
लहर भरोसे नाव चली है
हाथ में जो पतवार नहीं है
भ्रमित पथिक सा भटक रहे वो
लक्ष से जिनको प्यार नहीं है...
कर्म भूमि संघर्ष भरी है
मोह त्याग कर बढ़ना है
लक्ष साध के बाण चलाओ
कृष्ण का पार्थ से का कहना है
निष्काम कर्म है मार्ग तेरा तो
जीत नहीं, कोई हार नहीं है
भ्रमित पथिक सा भटक रहे वो
लक्ष से जिसको प्यार नहीं है...
सरस हृदय सामर्थ भुजाएं
सरल भाव में रहना है
प्रेम का दिल में वास रहे
और नज़र लक्ष पर रखना है
मधुर बांसुरी भी है निरर्थक
जो चक्र सुदर्शन साथ नहीं है
भ्रमित पथिक सा भटक रहे वो
लक्ष से जिसको प्यार नहीं है....
-- दीपक शर्मा 'सार्थक'
लक्ष से जिनको प्यार नहीं है...
माना रंगो की बारिश है
एक रंग पर चुनना है
दसो दिशाएं प्यार भरी पर
डगर एक ही चलना है
लहर भरोसे नाव चली है
हाथ में जो पतवार नहीं है
भ्रमित पथिक सा भटक रहे वो
लक्ष से जिनको प्यार नहीं है...
कर्म भूमि संघर्ष भरी है
मोह त्याग कर बढ़ना है
लक्ष साध के बाण चलाओ
कृष्ण का पार्थ से का कहना है
निष्काम कर्म है मार्ग तेरा तो
जीत नहीं, कोई हार नहीं है
भ्रमित पथिक सा भटक रहे वो
लक्ष से जिसको प्यार नहीं है...
सरस हृदय सामर्थ भुजाएं
सरल भाव में रहना है
प्रेम का दिल में वास रहे
और नज़र लक्ष पर रखना है
मधुर बांसुरी भी है निरर्थक
जो चक्र सुदर्शन साथ नहीं है
भ्रमित पथिक सा भटक रहे वो
लक्ष से जिसको प्यार नहीं है....
-- दीपक शर्मा 'सार्थक'
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