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Showing posts from August, 2022

परिचय का परिचय

एक छोटी घटना जिसका ज़िक्र हमारे परिवार में हो ही जाता है। पड़ोस में रामायण का पाठ हो रहा था।परिवार के पढ़े लिखे लोग रामायण पढ़ रहे थे। गांवों में एक चलन है जो लोग रामायण पढ़ने आते हैं, उनकी विशेष खातिरदारी होती है, कभी चाय बनकर आती है कभी नाश्ता बनकर आता है। इस पूरे घटनाक्रम को एक सात–आठ साल का बच्चा ध्यान से देख रहा था। उस बच्चे ने जिसने अभी तक स्कूल का मुंह नहीं देखा था, अचानक हाथ जोड़ कर मन ही मन भगवान से विनती की, " हे भगवान, हमको भी पढ़ना लिखना आ जाए ताकि हमको भी ऐसे ही चाय नाश्ता मिलने लगे।" उस अबोध बच्चे ने हृदय से भगवान से केवल पढ़ना लिखना इस लिए मांगा था क्योंकि उसके मन में पढ़ने लिखने वालो को मिलने वाले खाने पीने की वस्तुएं देख कर लालच आ गया था। लेकिन शायद ईश्वर ने उसकी पुकार सुन ली। किसे पता था यही बच्चा आगे चलकर डॉक्टर गंगा प्रसाद शर्मा ’गुणशेखर’ के नाम से विख्यात होगा, शिक्षित होकर पी.एच.डी करेगा, लाल बहादुर शास्त्री आईएएस अकादमी में आईएएस को पढ़ाएगा, विदेश में जाकर हिंदी का नाम रौशन करेगा। जब आज के समय मैं ये लिख रहा हूं तो कुछ लोगों को लग रहा होगा कि विदेश जाना...

मित्रता का वर्गीकरण

सोशल मीडिया के टाइम में एक चीज तो अच्छी है ही की अब किसी स्पेशल डे के बारे में याद रखने की जरूरत नहीं है। कोई भी स्पेशल डे होने पर पूरे सोशल मीडिया पर उससे सम्बन्धित शुभकामनाओं की सुनामी आ जाती है। मदर डे,फादर डे, वोमेन डे आदि–आदि डे के उपलक्ष्य में सोशल मीडिया रूपी ज्वाला मुखी दग उठता है। उसी क्रम में अभी मित्रता दिवस भी मनाया गाया। मित्र के लिए भी एक स्पेशल दिन है ये जान कर अच्छा लगा। देखा जाए तो मित्रता के कई आयाम होते हैं। थोड़ा गहराई से अगर मूल्यांकन करें तो पता चलेगा की मनुष्यो में मित्रता के भाव पनपने के आधार क्या क्या होते हैं। मित्रता के कुछ उदाहरणों से अपनी बात रखता हूं _ (1) साझा हित वाली मित्रता – ऐसी मित्रता जहां पर दो व्यक्ति अपने अपने हितों को ध्यान में रखकर मित्रता करते हैं, वो साझा हित वाली मित्रता होती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण श्री राम और सुग्रीव की मित्रता है। इस मित्रता का आधार साझा हित था। बालि द्वारा सुग्रीव की पत्नी ’तारा’ का हरण करके सुग्रीव को राज्य से निकाल दिया था। बालि को हरा पाना सुग्रीव के बस की बात नहीं थी। वहीं श्री राम को अपनी अर्धंगनी सीता का पता लगान...
सजी हैं दावतों से महफिले उनके शहर की कोई भूखा पकड़ के पेट अपना सो रहा है ! ये दीनी मज़हबी मतलब के सजदे कर रहे हैं दुआओ का असर बस इसलिए कम हो रहा है ! मचा के खलबली पूरे शहर में चेतना की वो घोड़े बेच करके मस्त होकर सो रहा है ! कभी जो प्यार में खाता था कसमें जीने मरने की  सुना है आजकल बेमन से रिश्ता ढो रहा है ! सुकू से मुस्कुराना भूल बैठा है जमाना जिसे भी देखिए दामन भिगोकर रो रहा है ! लगा है खोजने में बाहरी दुनिया को इंसा कहीं अंदर ही अंदर खुद ही खुद को खो रहा है ! बता कर वो गया था अब कभी वापस न आयेंगे मगर ये दिल है अबतक बाट उसकी जोह रहा है ! पड़ा अकाल है जज़्बा किसानों का मगर देखो जमीं बंजर है लेकिन बीज अपने बो रहा है !                        ©️ दीपक शर्मा ’सार्थक’