बहुत कमर्शल लगते हो

बहुत कमर्शल लगते हो !

तुम्हारा शेयर मार्केट वाला चहेरा
सेंसेक्स सा बदन
बजट सी मुस्कुराहट
घायल कर जाती है !

तुम्हारी रियल स्टेट जैसी 
मजबूत हस्ती 
तुम्हारी डॉलर जैसी 
आसमान में छलांग लगाती चाल 
मन को मोहित कर जाती है !

लेकिन!
वो म्युचुअल फंड वाला रिश्ता
जिसे तुमने तोड़ दिया
चुभ जाता है कभी-कभी !

वो साथ निभाने वाली 
कसमों वाला फिक्स डिपॉजिट 
जिसे अपनी जिद में तुमने फोड़ दिया 
रिस जाता है कभी-कभी !

पर इतना कुछ होने के बाद भी 
तुम्हारी ग्लोबल अदाएं
दिल की धड़कनों को
इनफ्लेशन सा बढ़ा देती हैं !

तुमसे मिलने की 'टर्म एंड कंडीशन'
मेरी भावनाओं को 
रिसेशन की तरह ढ़हा देती हैं!

कभी-कभी सोचता हूं 
तुम्हारी ये प्राॅफिट-लाॅस आँकती आखें 
जो मोहब्बत को भी नफा-नुकसान
से तौलती हैं !

तुम्हारा ये एक्सपोर्ट इम्पोर्ट वाले 
दिल की ख्वाहिशें 
जो एक जगह से दुसरी जगह 
बदलती रहती हैं !

इसका आखिर हिसाब-किताब
 कैसे रख लेते हो !
हर वक्त जैसे स्वार्थी 
बाज़ार में खड़े हो !

पर देखना..
इतना ध्यान रखना,
हर वक्त बाजार में खड़े-खड़े 
कहीं बाजारू न हो जाना

क्योंकि!
बहुत कमर्शल लगते हो !

                      ©️     दीपक शर्मा ' सार्थक'


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