Posts

Showing posts from December, 2021

घूसखोरी की कला

 प्रिय घूसखोरों, चूंकि मैं इस देश का जिम्मेदार नागरिक हूं।इसलिए मेरा ये फर्ज बनता है कि मैं ऐसे लोगों की मदद करूँ जिन्हें हाल ही में नौकरी मिली है और उनको ये नहीं पता है कि रिश्वत कैसे ली जाती है। तो आइये आज आपको बताता हूं कि रिश्वत लेने की सही कला क्या है- पहली और सबसे जरूरी बात..रिश्वत हमेशा उसी काम को करने के लिए लेनी चाहिए जो काम कानूनन सही है। जिस काम को करने के लिए सरकार ने आपकी नियुक्ति की है, उसी कार्य को सही तरीके से करने के लिए रिश्वत लेनी चाहिए। कुछ मूर्ख घूसखोर उस चीज को करने की रिश्वत ले लेते हैं..जो कानूनन उनको नहीं करना चाहिए। ऐसे ही लोग आगे चलकर फंस जाते और अपनी नौकरी गँवा बैठते हैं। अब यहां प्रश्न ये उठता है कि आखिर सही काम को करने के लिए भी घूस कैसे मिल सकती है ?  इसका सबसे आसान तरीका है कि जब भी आपके ऑफिस में कोई अपना लीगल काम लेकर आए तो उस काम को जितना हो सकता है लटकाइए। जैसे उससे बोलिए, "इस फाइल में फलाने ढिमाके काग़ज़ कम हैं..पहले उनको सही करके लाइये।" इस तरह अपना काम लेकर आया व्यक्ति परेशान होगा और काग़ज़ सही करने के चक्कर में लग जाएगा। इसके बाद जब वो द...

मनुष्य की पशुता

सच तो ये है कि  चीता नहीं घुसा तुम्हारे शहर में  बल्कि तुम घुस गए हो  उनके प्राकृतिक आवासों में ! तुम झूठे मक्कार अधरजी भूखे लोग  खा गए हो उनका जंगल  और फैलते जा रहे हो कुकुरमुत्ते के जैसे  शहरीकरण के नाम पे! तुम्हारे बेतरतीब विकास की हवस  लूट रही है पारितंत्र की इज्जत को  तुम्हारे अपेक्षाओं की घनघोर पिपासा  बढ़ती जा रही है निर्लज्जता से! हाँ..एक सच ये भी है  तुम स्वार्थी लोग  अंदर से एक हिंसक पशु ही हो  बस दिखते हो इंसानो से !            ©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'

आम्बेडकर नजर से

आम्बेडकर के विषय में कुछ भी लिखने से पहले इतना स्पष्ट कर दूँ कि यहां मैं जो कुछ भी लिखूँगा वो मेरे व्यक्तिगत विचार हैं। "मेरी दृष्टि से आम्बेडकर" का मतलब ही यही है कि मैं अम्बेडकर को कैसे देखता हूं। या यूँ कह लें कि मैं आम्बेडकर कितना समझता हूँ। ये तो मानना ही पड़ेगा कि उनका व्यक्तित्व बहुत ही व्यापक है। उनके समर्थक और अनुयायी से लेकर उनके आलोचक तक का नजरिया उनके प्रति भिन्न-भिन्न हो सकता है। इसलिए मैं अपने विचारों को किसी पर थोपना नहीं चाहता। यहाँ बस मैं यही बताना चाह रहा हूं कि अंबेडकर मुझे कैसे दिखते हैं। आजकल की आधुनिक राजनीति में अम्बेडकर बहुत ट्रेंड कर रहे हैं..हर स्कूल कॉलेज से लेकर नुक्कड चौराहे तक, हर जगह अम्बेडकर दिख जाएंगे। जो व्यक्ति जरा सा भी राजनीति में रुचि रखता है या जिसको थोड़ा भी राजनीति का ताजा ताजा चस्का लगा हो, वो अंबेडकर की फोटो पर माल्यार्पण करता दिख जाएगा। बुद्धू से बुद्धू नेता को भी पता है कि अंबेडकर मतलब  भारत का सीधे सीधे 16% वोट बैंक। लेकिन सच ये है कि आजादी के बाद से लेकर सन 1990 के दौर तक अम्बेडकर भारतीय राजनीति में थोड़ी बहुत जगहों को हटा दें तो...