नित नवयोदय निर्मित हो नया
निखरे जो थे बिखरे सपने
नववर्ष में लें संकल्प नया !
नव चेतन नित संवेदन नव
नव चिंतन भी निर्गत हो नया
निश्छल नीयत नव निर्मल मन
नव उद्विकास हो नित्य नया !
नव स्वप्न नयन में बस जाएं
निष्काम हृदय, नवयुग हो नया
नर नारायण में निहित रहे
निज राष्ट्र का हो उत्थान नया !
नव नीति निरंतर विकसित हो
न्यायोचित हो और न्याय नया
नैतिकता निर्मित हो सबमें
नववर्ष में हो सब नया-नया !
©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'
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