कभी गौर किया है !
कुछ चहरे चीख चीख के
बयां करते हैॆ
अंदर का खालीपन

कभी ध्यान दिया है !
कुछ आंखों में
साफ झलकता है
अंदर का वीरानापन

कभी महसूस किया है !
कुछ लोगो की हंसी
ज़ाहिर कर देती हैं
अंदर का खोखलापन

कभी गौर किया है !
कुछ लोगो के हाव-भाव
से दिख जाता है
अंदर का कमीनापन
कभी गौर किया है !
मैने तो किया है...

     © दीपक शर्मा 'सार्थक'

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