अगर तू साथ है मेरे
तो फिर किस बात की मुश्किल
अगर जज़्बात हैं गहरे
तो किस हालात की मुश्किल
मोहोब्बत का दिया दिल में
अगर जलता रहे हरदम
तो फिर बस नाम की
काली अंधेरी रात की मुश्किल
कोई किस्सा मोहोब्बत का
अधूरा रह गया शायद
हिली बुनियाद रिश्तो की
भरोसा ढह गया शायद
नहीं लफ़्ज़ो में हाले दिल
बयां उसने किया मुझसे
मगर आंखो से ही सारी
कहानी कह गया शायद
कुछ फूल थे ऐसे
जो बिन खिले ही रह गए
कुछ जख्म थे खुले
जो बिन सिले ही रह गए
उम्मीद का दिया बुझाके
वो चला गया
किस्मत तो देखिए
कि बिन मिले ही रह गए
©दीपक शर्मा 'सार्थक'
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