जाने क्यों, बदले-बदले से लगते हो !

जाने क्यों,बदले-बदले से लगते हो !
न वो मोहोब्बत है न ही वो चाहत है
न वो सुकूं है न ही वो राहत है
न कोई शिकवा है न ही शिकायत है
न वो कशिश है न वो शरारत है
जाने क्यों, बदले बदले से लगते हो !

न वो अदाएं हैं न वो बनावट है
न पहले जैसी पैरों की आहट है
किरदार में भी दिखती गिरावट है
मतलब परस्ती है दिल में मिलावट है
जाने क्यों, बदले-बदले से लगते हो !

न ही वो शोखी है न मुस्कुराहट है
न वो हंसी है न खिलखिलाहट है
आँखे बुझी हैं कैसी थकावट है
चहरे पे सख़्ती है और झुंझलाहट है
जाने क्यों,बदले-बदले से लगते हो

       © दीपक शर्मा 'सार्थक'

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