दो-चार झूठ
चार-पांच धोखे
सात-आठ ज़ख्म
और बन गया वजूद मेरा !
ढेले भर अकल
दो टके समझ
रत्ती भर सबर
और बस गया शहर मेरा !
थोड़ी सी बेचैनी
हल्की सी चुभन
ज़रा सी तड़प
और कट गया सफर मेरा !
एक दृष्टि में नेहरू
वैसे तो आज का दिन पंडित नेहरू को याद करने का है लेकिन प्रश्न ये उठता है कि नेहरू याद किसको हैं। दशकों पहले नेहरू को लेकर कुछ संस्थाओ और उनसे जुड़े पाखंडी लोगों ने अभियान चलाकर ज़हर की खेती की। उनको ग्यासुद्दीन गाजी का वंशज बताया गया। उनको कामुक अश्लील व्यक्ति बताकर दुष्प्रचार किया गया। और अब तो इस ज़हर से सींच कर तैयार की गई पूरी एक पीढ़ी है जो दिन रात, बिना इतिहास की एक पुस्तक पलटे नेहरू को गाली देने में लगी है।नेहरू की सोच का यदि 10 पर्सेंट भी अगर सोच लें तो जिनकी खोपड़ी दग जाए ऐसे लोग भी नेहरू का मूल्यांकन करने मे लगे हैं। हम भारतीयों की शुरू से समस्या रही है। खुद चाहे जैसे हों लेकिन नेता हमको ऐसा चाहिए जो ब्रह्मचारी हो। महिलाओ से जिसका कोई लेना-देना न हो। नेहरू की विभिन्न महिलाओं के साथ खींची गई तस्वीरों को आधार बनाकर उनकी आलोचना करते हैं।उनको ऐयाश बताने में लगे रहते हैं। वही दूसरी तरफ लाल बहादुर शास्त्री जी की अपनी पत्नी के साथ दो फिट दूर बैठी एक फोटो को आदर्श बताने में लगे हैं(इसमें कोई दो राय नहीं कि वो इस देश के आदर्श हैं, लेकिन इसका कारण ये नहीं कि वो अपनी पत्नी से ...
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