एक तो राष्ट्रवादियों से मैं बहुत दुखी हूँ। जबतक ये हर चीज़..हर घटना..हर विषय को राष्ट्र से न जोड़ दें तक तक इनके पाचन ग्रन्थियों से खाना पचाने वाले एंजाम स्रावित नहीं होते। अ...
मिला के चटपती ख़्वाहिश बनाके स्वाद मनमाफ़िक बदल दे ज़ायका उसका अगर फीकी लगे दुनियां ! चलोगे कब तलक पीछे यूं ही गर्दन झुका करके अनोखा रच दे कुछ ऐसा तेरे पीछे भगे दुनियां ! सं...
नया ये साल आया है नई शुरुवात लेकरके गिले शिकवे भुला करके पुरानी बात को छोड़ो ! जो दिल में चोट है गहरी नज़रअंदाज़ कर दो तुम नए हालात में फिर से नए जज़्बात को जोड़ो ! गए जो रूठ कर ...
बने सरकार सेकुलर की या आ जाए कोई संघी बदलता कुछ नहीं यारो वही रफ्तार बेढंगी ! महामारी सी बीमारी से दूषित हो गया तन-मन कुपोषण,भुखमरी की आग में जलता रहा बचपन कभी है प्याज की किल...