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Showing posts from December, 2017

भारतीयता बनाम राष्ट्रवाद

एक तो राष्ट्रवादियों से मैं बहुत दुखी हूँ। जबतक ये हर चीज़..हर घटना..हर विषय को राष्ट्र से न जोड़ दें तक तक इनके पाचन ग्रन्थियों से खाना पचाने वाले एंजाम स्रावित नहीं होते। अ...

फीकी लगे दुनियां !

मिला के चटपती ख़्वाहिश बनाके स्वाद मनमाफ़िक बदल दे ज़ायका उसका अगर फीकी लगे दुनियां ! चलोगे कब तलक पीछे यूं ही गर्दन झुका करके अनोखा रच दे कुछ ऐसा तेरे पीछे भगे दुनियां ! सं...

पुरानी बात को छोड़ो !

नया ये साल आया है नई शुरुवात लेकरके गिले शिकवे भुला करके पुरानी बात को छोड़ो ! जो दिल में चोट है गहरी नज़रअंदाज़ कर दो तुम नए हालात में फिर से नए जज़्बात को जोड़ो ! गए जो रूठ कर ...

वही रफ्तार बेढंगी !

बने सरकार सेकुलर की या आ जाए कोई संघी बदलता कुछ नहीं यारो वही रफ्तार बेढंगी ! महामारी सी बीमारी से दूषित हो गया तन-मन कुपोषण,भुखमरी की आग में जलता रहा बचपन कभी है प्याज की किल...